कहानी

कहानी – भविष्यवाणी कहनेवाला

एक गाँव में एक औरत और एक पुरुष रहते थे। यह पुरुष हाथ पाँव हिलाकर कुछ भी काम करने के लिए बहुत ही आलसी था। रोज़ रोज़ बीबी भी कहती है कि इसी तरह हर दिन कैसे रहेंगे? आपने गाँव में न सही तो दूसरे गाँव में जाकर कुछ भी काम ढूढ़ने़ की कोशिश करनी चाहिए ना।

हमेशा हमेशा अपनी बीबी की गालियाँ सुनते हुए एक दिन इस पुरुष ने इस तरह सोचा कि अच्छा मैं दूसरे गाँव में जाकर कोई भी काम करके पैसे कमाकर ले आऊँगा। ऐसा सोचकर वह पुरुष दूसरे दिन किसी काम की खोज में अपने घर से निकला। चलते-चलते वह थक गया लेकिन उसे कोई भी काम नहीं मिला। दिन भर भूख था। हाथ में पैसे भी नहीं थे। अब सन्ध्या समय भी आ गया। तो पुरुष ने सोचा कि यदि दूसरे गाँव जाएगा तो काम अवश्य मिल जाएगा। उस गाँव में जाने के बाद पुरुष ने वहाँ के गाँववालों से बताया कि नौकरी की तलाश में ही मैं यहाँ तक आया हूँ। फिर गाँववालों ने पूछा “तो तुमने क्या काम सीखा” ? तब पुरुष ने कहा मैं ने कोई भी काम नहीं सीखा। लेकिन बस छ®टा म®टा काम कर सकता हूँ। तब गमराल ने कहा कि “अच्छा तुम कर सकते हो तो हर दिन मेरी गायों के लिए घास के छः बोने काट कर दे देना। मैं तुम्हारे लिए एक दिन के लिए छः रुपए वेतन दूँगा।” पुरुष भी इससे सहमत होकर वहाँ रहने लगा। लेकिन उसने एक ही दिन घास काटा। उसी दिन शाम को ही उसने सोचा कि यह काम तो बड़ा मुश्किल है। हल कुदाल का काम भी ऐसे ही मुश्किल है। अगर मैं लोगों को भविष्यवाणी कह सकूँ तो इतनी तकलीफ़ के बिना रह सकता हूँ। उसने सोचा कि मैं कहीं भी जाकर भविष्यवाणी बताने का ढ़ग सीखूँगा।

दूसरे दिन यह पुरुष बिना किसी से कहे उस घर से निकल, पैदल चलने लगा। रास्ता पूछते-पूछते बहुत दूर निकल जाने बाद भविष्यवाणी कहने का ढ़ग सिखानेवाले एक गुरु के पास पहूँच गया। जाकर कहा कि मैं भविष्यवाणी बताने का ढंग सीखना चाहता हूँ; मुझे ज्ञान दीजिए।* “अच्छा ऐसा है तो यहीं रहो” कहकर गुरु ने उसको ज्ञान देने की कोशिश की। यह पुरुष बड़ा ही बेवकूफ़ था, अतः उसको ज्ञान देना बड़ा ही मुश्किल का काम था। कुछ भी शास्त्र ध्यान में रखना मुश्किल था। फिऱ उस पुरुष को कुछ भी सिखाने के बिना घर से निकालने में असमर्थ गुरु ने रास्ता दिखाकर कहा कि इस रास्ते में रात तक जाओ। जाते समय तुम्हें जो कुछ देखने को मिलेगा उसे आकर मुझसे बताओ।

जब पुरुष भी सहमत होकर उस रास्ते में जाया करता। तब एक वन के किनारे एक सुअर को भूमि को खोदते देखा। तब उसने यह देखकर ऐसे कहा कि “खोदनेवाले, खोदनेवाले”। उस आवाज़ को सुनकर सुअर ने पलटके देखा। तब पुरुष ने कहा कि “देखनेवाले, देखनेवाले”। तभी सुअर इस पुरुष को देखकर दौड़ने लगा। पुरुष ने दौड़नेवाले सुअर को देखकर कहा कि “दौड़नेवाले दौड़नेवाले”।

यह प्रवृत्ति इस पुरुष के ध्यान में थी। पुरुष ने यह अपने गुरु से बताया। तब गुरु ने कहा कि “बलों को तो यह भी ठीक है, यह मत भूलो, इसे रोज़ रोज़ पढ़़ना चाहिए”। फ़िर यह पुरुष अपने गुरु से आशीर्वाद लेकर गाँव जाने के लिए निकला। जाते जाते रात हो गयी। पुरुष ने रात बिताने के लिए जगह ढूँढ़ी तो हेट्टिराल का घर मिला। जब पुरुष ने उससे जगह माँगी तब हेट्टिराल ने कहा कि “इधर उधर भटकनेवालों को तो मेरे घर में कुछ भी जगह नहीं है”। फ़िर पुरुष ने कहा कि “हेट्टिराल, ऐसा मत कहिए, मैं इधर-उधर भटकनेवाला आदमी नहीं हूँ; मैं ने गुरु के पास रहते हुए भविष्यवाणी कहने का ढंग सीखा है और अब गाँव लौट रहा हूँ।

ऐसे कहने के बाद हेट्टिराल ने कहा कि “अच्छा, ऐसा है, तो उधर घर के पासवाली झोंपड़ी में जाकर सो जाओे”। तो पुरुष भी वहाँ जाकर सोया। पैदल आने की थकावट के कारण उसे जल्दी नींद आ गयी परंतु आधी रात में वह उठ गया। इसी बीच हेट्टिराल के घर में चोरी करने आये चोर लोग धीरे धीरे घर की दीवार तोड़ने में लगे हुए थे। उधर भूख और थकावट के कारण नींद से जागे पुरुष ने अपना सीखा हुआ पाठ याद करने लगा। तब उसके मुँह से यह शब्द निकला “खोदनेवाला, खोदनेवाला”। यह सुनकर चोर लोग डरके मारे चुराने का काम कुछ देर तक पीछे रखकर इधर-उधर देखने लगे कि आसपास कोई आदमी देख तो नहीं रहा है। तभी वह पुरुष फ़िर कहने लगा “देखनेवाला, देखनेवाला”। उस बात ने चोरों को बहुत डरा दिया और वे तब तक चुराई वस्तुओं को उसी जगह छोड़कर दौडने लगे। भविष्यवाणी कहनेवाला उस वक्त ही ऐसे कहने लगा कि “दौडनेवाला, दौडनेवाला”।

भविष्यवाणी कहनेवाले कि उस आवाज़ और दौडनेवालों के आहट से हेट्टिराल जाग उठा और साथ साथ देखा कि अपना घर तोड़कर चुराई वस्तु भी छोड़कर चोर लोग भाग गये हैं। उसके बाद हेट्टिराल ने भविष्यवाणी कहनेवाले से कहा कि आज तुम्हारी वजह से मैं चोर लोगों से बच गया। यह मेरा बड़ा भाग्य है। मुझे ये चोर लोगों की वस्तु से कुछ भी फ़ायदा नहीं है। ये वस्तु तुम्ही लेकर जाओ और ये वस्तु ले जाने के लिए मैं मेरी तरफ़ तुमहें एक बैल भी देता हूँ।

हेट्टिराल की बात मानकर भविष्यवाणी कहनेवाला अपनी सारी जिंदगी बिताने के लिए पर्याप्त सभी वस्तु को बैल के पीठ पर लादे अपने गाँव पहुँचा। गाँववालों ने भविष्यवाणी कहनेवाले से पूछा कि “इतनी सारी वस्तुएँ तुम्हें कहाँ से मिली” तब उसने कहा कि मैं ने उस देश में जाकर एक गुरु से भविष्यवाणी कहना सीखा। उसके बाद इससे ये सबी वस्तुएँ मिली। तदुपरांत यह पुरुष अपने गाँव से ’भविष्यवाणी कहनेवाले’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। एक दिन उस देश के राजा ने ऐसी खबर दी कि अपनी रानी का मोती का हार गुम हो गया है और उस हार को ढूँढ़कर देनेवाले किसी को भी सोने का हज़ार रुपए देंगे।

लेकिन मोती का हार नहीं मिला। तब गाँववालों ने राज भवन में जाकर अपने राजा के साथ इस भविष्यवाणी कहनेवाले के बारे में कहा। तब तक जो लोग मोती का हार ढूँढ़कर देने के लिए मन्ज़ूर हो गये थे। इसके लिए वे लोग असमर्थ हुए। तब राजा ने नाराज़ होकर कहा कि “जो भविष्यवाणी ठीक नहीं कह सकते उन लोगों के एक एक कान काट दो”।

इस भविष्यवाणी कहनेवाले के कौश्ल्य के बारे में सुनकर राजा ने उसको राज भवन में पहुँचने के लिए खबर भेजी। खबर मिलने के बाद यह भविष्यवाणी कहनेवाला बहुत ही डर गया। अब तो उस मन्त्र को भी भूल गया है। लेकिन राजा का हुकुम कैसे न मानूँ। उसने सोचा कि “आज तो बिना एक कान के आना पडेगा़। वह अपने कान के बारे में सोचते सोचते जा रहा था कि राज भवन पहुँचने से पहले पार करने के लिए एक नदी थी। नदी पार करने से पहले उसने चुल्लू भर से अपना मुँह धोया। मुँह धोते धोते कान भी धोया। तुरंत कान की याद आते ही उसको रोना भी आया। कान धोते हुए वह कहने लगा कि “कने; तुम आज ख़तम हो जाओगे; तुम आज ख़तम हो जाओगे।” गंगा में नहाने आयी एक औरत ने यह सुनकर भविष्यवाणी कहनेवाले से पूछा “क्या तुमने रानी के हार के बारे में कहा?” पुरुष ने भी कहा कि “हाँ, मैं वह भविष्यवाणी कहने जा रहा हूँ।” तब औरत ने ऐसे कहते हुए विन्ती की कि “वह तो मत कहो। तुम जो “कने” कह रहे हो, वह मैं हूँ। मैं हार वापस दे दूँगी। मेरा नाम तो मत बताओ। मुझे मार डालेंगे।” पुरुष ने यह स्थिति ठीक समझकर कहा कि “हाँ, हार लेकर आओ। मैं तुम्हारा नाम नहीं बताऊँगा।”

औरत भी दौड़कर गई और छिपाकर रखा हुआ हार वापस ले आयी। यह औरत राज भवन में ही रहनेवाली थी। उसके बाद वह हार गंगा के पास एक पत्थर के नीचे छिपाकर गया। राजा ने पूछा कि “क्या तुम ठीक भविष्यवाणी कह सकते हो।” और कहा कि सही सही भविष्यवाणी बताने में असमर्थ हुए तो मैं तुम्हारा एक कान काट दूँगा। पुरुष ने “मैं ठीक भविष्यवाणी कहूँगा” कहकर जिस स्थान में मोती का हार छिपा रखा था उस स्थान के बारे में ठीक-ठीक कहा। तब राजा ने एक मन्त्री को भिजवाकर देखने पर मोती का हार मिला।

इससे खुश होकर राजा ने भविष्यवाणी कहनेवाले को सोने के दो हज़ार रुपए दिये। उसके बाद इस पुरुष ने बिना किसी दुख के, और घरवालों के डाँट-डपट के बिना बड़ी खुशी से अपना जीवन बिताया।

— चतुरिनी महेषा प्रनान्दु

चतुरिनी महेषा प्रनान्दु श्रीलंका

वरिष्ठ प्राध्यापिका गम्पह विक्रमारच्चि आयुर्वेद विद्यायतन कॅलणिय विश्वविद्यालय श्री लंका