कविता

तुम

तुम मेरे जीवन में आये
और उत्साह छा गया जीवन में
न जाने कैसे बदल गया जीवन
बिल्कुल अधूरा है तुम्हारे बिना जीवन

आये तुम मेरे सपनों में
खोई-खोई सी हूँ मैं
दिल में चाहत है तेरी
जब सहसा मिले तुम
देखने लगी दुनिया को
मैं तुम्हारी आँखों से

पाया मैंने तुम्हारी बाहों में
अनुपम इश्क, मोहब्बत और प्यार
जीते-जी मैं साथ हूँ तुम्हारे
हमेशा साथ हूँ तुम्हारे

— चतुरिनी महेषा प्रनान्दु

चतुरिनी महेषा प्रनान्दु श्रीलंका

वरिष्ठ प्राध्यापिका गम्पह विक्रमारच्चि आयुर्वेद विद्यायतन कॅलणिय विश्वविद्यालय श्री लंका