गीत/नवगीतपद्य साहित्य

हम सच के गाने गाते हैं

हम आजीवन, रहे अकेले, अब क्या साथ निभाओगी?
हम सच के गाने गाते हैं, तुम कपट गान ही गाओगी।।

जीवन में कुछ नहीं छिपाना।
सच ही जीवन, सच अपनाना।
छल-कपट का, जाल यूँ बुनकर,
मुझे चाहतीं, तुम धमकाना।
धन, पद, यश, संबन्ध चुरा लो, किन्तु साथ ना पाओगी।
हम सच के गाने गाते हैं, तुम कपट गान ही गाओगी।।

जीने की भी, चाह नहीं अब।
कष्टों में भी, आह नहीं अब।
धोखे से, विश्वास है तोड़ा,
विश्वास बिना, प्रेम हुआ कब?
कितनी भी पीड़ा पहुँचाओ, मजबूर नहीं कर पाओगी।
हम सच के गाने गाते हैं, तुम कपट गान ही गाओगी।।

बंदी भले ही, हमें बना लो।
झूठे कितने? केस चला लो।
हमको पथ से, डिगा न सकोगी,
चाहे जितनी, सजा दिला लो।
धन तो क्या? प्राण भी ले लो, विश्वास कहाँ से लाओगी?
हम सच के गाने गाते हैं, तुम कपट गान ही गाओगी।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)

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