सफ़र में रहो तुम ,मुलाकात होगी,
मिलोगे अगर तो बहुत बात होगी।
हैं चंदा ये तारे बहारों की दुनिया,
अगर तुम हो तो फिर हँसी रात होगी।
बिछड़कर यूँ तुझसे तो रोया ये दिल,
मगर आज आँखों से बरसात होगी।
नहीं मेरे बस में मेरा मन है देखो,
मुझे थाम लो तो ये सौगात होगी।
तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूँ साजन,
मिलो जो अगर वस्ल की रात होगी।
बदल दे ये मौसम हँसी ख़्वाब सच हों,
‘किरण ‘ मेरे रब की करामात होगी।
— प्रमिला ‘किरण’

परिचय - प्रमिला मेहरा किरण
वरिष्ठ गीतकार कवयित्री व गजलगो, वरिष्ठ स्वतंत्र लेखिका व स्तम्भकार, 755 वार्ड नं-14, इंद्रा नगर, नया यार्ड, बौद्ध मंदिर के पास, इटारसी-मध्य प्रदेश-461111
अति सुंदर