गीतिका/ग़ज़ल

अनकही बातें

कभी-कभी जाने क्यों उल्झाती हैं कुछ अनकही बातें,
जाने अनजाने जब छुपाई जाती हैं कुछ अनकही बातें।

मन में कोतूहल सा रहता और असमंजस में सोचता है दिल,
क्या कहना था उसे सोच तड़पाती हैं कुछ अनकही बातें।

बातें तो कईं ज़ुबां कह देती है अक्सर भावनाओं में बहकर,
मन के भीतर मगर बहुत शोर मचाती हैं कुछ अनकही बातें।

कुछ बातें बताई जाती हैं कुछ बताने को फिर डरते हैं हम,
खुद को भी हैरत में डाल जाती हैं कुछ अनकही बातें।

काश ! कह पाते हम किसी से दिल की अपने सारी बातें,
हर रिश्ते में कहीं तो रहती अधूरी आधी हैं कुछ अनकही बातें

कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |