गीत/नवगीत

कुछ भी कहो, कुछ भी करो

बहुत है झेला, बहुत है भोगा,
शेष रही कोई, चाह नहीं है।
कुछ भी कहो, कुछ भी करो,
किसी की कोई, परवाह नहीं है।।

प्रताड़ना रूपी, प्रेम था पाया।
अभावो ने भी था ठुकराया।
तप्त धरा पर नंगे पाँव चल,
हमने बसंत का राग सुनाया।।
बचपन भूख से पल-पल खेला,
जवानी काल कुछ याद नहीं है।
कुछ भी कहो, कुछ भी करो,
किसी की कोई, परवाह नहीं है।।

जन्म लिया, तब घर नहीं अपना।
अकेलेपन में, पड़ा था तपना।
शिक्षा काल, ठहराव हुआ ना,
नहीं किसी का, नाम थ जपना।
युवावस्था संघर्ष में बीती,
पूरी हुई कोई चाह नहीं है।
कुछ भी कहो, कुछ भी करो,
किसी की कोई, परवाह नहीं है।।

कर्म के पथ पर, अडिग रहे हम।
स्वार्थ के आगे, नहीं झुके हम।
भीड़ में भी, हम रहे अकेले,
अपने कहकर, लूटे गए हम।
पीड़ाओं का अभ्यास हो गया,
भरते अब हम, आह नहीं है।
कुछ भी कहो, कुछ भी करो,
किसी की कोई, परवाह नहीं है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)