कविता

मुश्किलों का सामना करो मत घबराओ तुम

कैसे लेते होंगे फैसला इतना कठोर
कैसे इतना हौसला लेते होंगे बटोर
न बीबी बच्चों की सोचते हैं न अपनों का
क्या होगा जो मन में थे उन सपनों का
गले में जब फंदा डालते होंगे
कुछ पल तो अपने आप को संभालते होंगे
ज़िन्दगी का अनमोल तोहफा देता है भगवान
कैसे करते हैं फिर उसका अपमान
क्या ज़िन्दगी खत्म कर देने से
सारी मुश्किलें हो जाएंगी आसान
मुश्किलों का पहाड़ टूटेगा परिवार पर
समस्याओं का फिर भी नहीं होगा समाधान
ज़िन्दगी में कठिनाईयां तो आएंगी
कभी हम हँसेंगे तो कभी रुलाएंगी
मुश्किलों का सामना करो मत घबराओ तुम
अपने आपको इतना कमजोर मत बनाओ तुम
मुश्किल अगर आ पड़ी उससे टकराओ तुम
फौलाद का सीना अपना दिखाओ तुम
ज़िन्दगी त्यागने से कायर कहलाओगे
इक बदनुमा दाग अपने ऊपर लगवाओगे
मरने के बाद फिर किसने देखा क्या होता होगा
मुश्किलें मगर दूर खड़ी मुस्कराती होंगी
हमसे हार गया कमज़ोर इंसान
उसको कफन में देखकर खिलखिलाती होंगी
क्यों आत्महत्या करने का मन में लाते हो विचार
यह खूबसूरत काया दोबारा न मिल पाएगी
शरीर तो खाक में मिल जायेगा मरने के बाद
मगर आत्मा हमेशा तड़फती नज़र आएगी
मोह माया से तो चले जाते हैं बहुत दूर
न कोई दम्भ न कोई गरूर
क्यों हो जाते हैं लोग फिर भी
ज़िन्दगी में इतने मगरूर
— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र