कविता

दिखा अपना शौर्य

घर की धुरी कैसे अधूरी?
ममता की मूरत दिल की सूरत।
दुनिया में है नारी न्यारी,
फिर क्यों फिरती है मारी-मारी।
धरती सा धरती धैर्य,
वक्त पर दिखा अपना शौर्य।
दिखा अपने परिचय में
कर अबूझ,अद्भुत शक्ति के कार्य।
*उन्मुक्त गगन में उड़ने दो।
आजादी की राहों पर चलने दो।
शिक्षा की सीढ़ियों पर चढ़ने दो।
एक नहीं दो दो पीढ़ियों को तरने दो।
अंधविश्वासों की जंजीरों को कटने दो।
बेटा-बेटी में भेदभाव को मिटने दो।
 दहेज के लोभियों को भटकने दो।
नारी को दुनिया के सागर की पतवार बनने दो।
 मानवता के धागों से सुंदर माला बुनने दो।
घर की देवियों को सम्मान के सिंदूर से सजने दो।
 प्रेम,मोहब्बत की खुशबू की क्यारियों को खिलने दो।
अत्याचार,शोषण व बलात्कार की होली जलने दो।
नारी का इतिहास अमर हो जाए,
पाठ ऐसा पढ़ने दो।
समता के सांचे में ढल जाए जग सारा,
ऐसा मंत्र सीखला दो।
संस्कारों की खेती में अमृत- फल उपजा दो।
कर्म-धर्म की खुशबू से अपनी दुनिया महका दो।
 धर्म,जाति,दीन,हीन की खाई को सदा सदा मिटा दो।
नर और नारी एक समान, मतभेद न मन में पलने दो।
— डॉ.कान्ति लाल यादव

डॉ. कांति लाल यादव

सहायक प्रोफेसर (हिन्दी) माधव विश्वविद्यालय आबू रोड पता : मकान नंबर 12 , गली नंबर 2, माली कॉलोनी ,उदयपुर (राज.)313001 मोबाइल नंबर 8955560773