गीत/नवगीतपद्य साहित्य

नहीं माँगता बस देता है

अकेलेपन से जूझ रहे सब, साधक एकान्त का रस लेता है।
समय का साधक, कर्म करे बस, नहीं माँगता बस देता है।।

इक-दूजे से सब हैं जूझें।
मित्र कौन है?  कैसे बूझें?
प्रेम-प्रेम कह, लूट रहे नित,
भीड़ में अपना, ना कोई सूझे।
परिवार में ही महाभारत होता, अपना वही जो नाव खेता है।
समय का साधक, कर्म करे बस, नहीं माँगता बस देता है।।

खुद ही खुद से, जूझ रहे हम।
विश्वासघात नित, झेल रहे हम।
जिसको अपना साथी समझा,
घात से उसके, अचेत हुए हम।
विश्वास किया था, जिस पर हमने, चुंबन लेकर गला रेता है।
समय का साधक, कर्म करे बस, नहीं माँगता बस देता है।।

मित्र खोजना बंद करो अब।
अपने आपके मित्र बनो अब।
इसको-उसको, समय बहुत दिया,
खुद ही, खुद को, आज गढ़ो अब।
आगे बढ़कर,  पथ जो बनाये,  वही कहाता, प्रणेता है।
समय का साधक, कर्म करे बस, नहीं माँगता बस देता है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)