कविता

खूब नाचेंगे सबके संग

आओ सब मिल कर खेलें होली
पिचकारी से निकली रंगों की गोली
गले मिलते हैं प्यार से एक दूसरे के
निकली है मस्त मतवालों की टोली
कोई पीले रंग में रंगा है
कोई हुआ है लाल
कोई फैंक रहा रंग पानी में डाल कर
कोई फैंक रहा सूखा गुलाल
उड़ रहा गुलाल छाई है मस्ती
दुआ मांग रहे हैं सारे
शांति प्यार और भाईचारा बना रहे अपना
त्योहार मिल जुल कर मनाते रहें सारे
रंगों का त्योहार हैं होली
सब मिल जुल कर हैं मनाते
जात पात मज़हब कोई भी हो चाहे
गले मिलते एक दूसरे के गुलाल हैं लगाते
खुशियों का त्योहार है होली
आपस का प्यार सत्कार है होली
जीवन रंगों से भर जाए सबका
यही संदेश देती हरबार है होली
मन में है उल्लास बहुत
दिन है होली का खास बहुत
शिकवे भूलें और याद करें
जो दिल के हैं पास बहुत
पिचकारी से निकले जो रंग
लेके आएंगे नई उमंग
गले मिलेंगे इक दूजे के
खूब नाचेंगे सबके संग
— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र