कविता

कविता

कविता के चंद शब्दो से
गजलों के कुछ मिसरों से
कहानी के किरदारों से
रोटी नही पकती —
तन को झोंकना पड़ता है
पसीने को बहाना पड़ता है
मन को मारना पड़ता है
दो वक्त की रोटी के लिए —
वक्त पर पैबंद लगा कर
धूप का आँचल ओढ़ कर
नजरो को झुका कर
गेहूँ को बीन कर
आता पीस कर
रोटी पकती है तब
कुछ यूं ..
खुद को भूल कर  !!
— डॉली

डॉली अग्रवाल

पता - गुड़गांव ईमेल - dollyaggarwal76@gmail. com