गीत/नवगीतपद्य साहित्य

संग-साथ की इच्छा सबकी

पुष्प की चाह, सभी को होती, कुछ ही पल को वह खिलता है।
संग-साथ की इच्छा सबकी,  किन्तु साथ कुछ को मिलता है।।

चाहने से यहाँ, कुछ नहीं होता।
काटता है वही, जो व्यक्ति बोता।
कर्तव्य रहित अधिकार जो चाहे,
कदम-कदम वह, निश्चित रोता।
साथ उसी को, मिलता जग में, प्रेम सूत्र रिश्ते सिलता है।
संग-साथ की इच्छा सबकी,  किन्तु साथ कुछ को मिलता है।।

आकांक्षा और अभिलाषाएँ।
तरह-तरह की हैं आशाएँ।
चाहत किसी की पूरी न होतीं,
चुनौती देती, हैं निराशाएँ।
चाहत तजकर,  साथ निभाए, साथ उसी का, बस निभता है।
संग-साथ की इच्छा सबकी,  किन्तु साथ कुछ को मिलता है।।

प्रकृति का कण-कण साथ हमारे।
सुना न तुमने, हम थे पुकारे।
कर्तव्य पथ पर, बढ़ते रहेंगे,
मृत्यु भी, पग-पग, हमें दुलारे।
पथ ही साथी, जब हो पथिक का, ऐसे पथिकों से, जग हिलता है।
संग-साथ की इच्छा सबकी,  किन्तु साथ कुछ को मिलता है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)