बाल कविताबाल साहित्य

होली आई, होली आई!

इन्द्रधनुषी रंग है बिखरे,
आकाश का स्वरूप भी निखरे;
रंगों की बौछार है लाई,
होली आई, होली आई!

लाल, पीला, हरा गुलाल,
बुबुई रंग दे सानू के गाल;
खाएँ गुजिया, पापड़ और मिठाई,
होली आई, होली आई!

बच्चों का मनपसंद त्यौहार,
हर ओर खुशियाँ और प्यार;
पिचकारियों की कतार लगाई,
होली आई, होली आई!

रूठें हुए को भी मनाए
इस पर्व आनंदित हो जाएं
भूल जाए सब शिक़वे- लड़ाई
होली आई, होली आई!

— रूना लखनवी

रूना लखनवी

नाम- रूना पाठक उप्पल (रूना लखनवी) पता- दिल्ली, भारत मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में, मैं एक फार्मास्युटिकल कम्पनी में वरिष्ठ प्रबंधक की तरह कार्यरत हूँ। साहित्यिक उपलब्धि :- वूमेन एकस्प्रेस, दक्षिण समाचार प्रतिष्ठा, आज समाचार पत्र , कोलफील्ड मिरर , अमर उजाला काव्य (ऑनलाइन) , पंजाब केसरी (ऑनलाइन) , मॉम्सप्रेस्सो में कविताएँ, लघु कथा कहानी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रचनाएँ प्रकाशित। सम्पर्क https://www.facebook.com/Runa-Lakhnavi-108067387683685 सम्मान: 1. मॉम्सप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान; 2. राष्ट्रीय कवयित्री मंच- नारी शक्ति सम्मान 2020 3. साहित्य संगम संस्थान- सम्मान 4. अभिनव साहित्यिक मंच - सम्मान