भाषा-साहित्य

पंकज चौधरी और कवि-पत्रकारीय अंदाज़

कवि और पत्रकार मित्र श्री मुसाफ़िर बैठा और श्री पंकज चौधरी के प्रसंगश: मैंने अपनी ज़िन्दगी के कई-कई वसंत-पतझड़ ‘पटना’ में बिताये हैं, लगभग 2 दशक की अवधि कतई कम नहीं होती ! पटना-प्रवास के दौरान मेरे कई साहित्यिक मित्र हुए , जिनमें अभी दो के बारे मे ही यहाँ इसलिए उल्लेख कर रहा हूँ , जिनसे जुड़े दिलों के तार दूर होते हुए भी क्षण-क्षण झंकृत करते चले जाते हैं।

वे मित्र जिनकी यहाँ  चर्चा नहीं हुई है, वे भी मेरे घनिष्ठ मित्र हैं । परंतु श्री मुसाफ़िर बैठा और श्री पंकज चौधरी ——— दोनों से मेरी अभिन्नता कई मतभेदों के बावजूद दाँत-काटी-रोटी की है । मैं राजनीति मित्रों के विन्यस्त: कोई मनभेद नहीं रखता । संलग्न चित्र में पंकज चौधरी की पहली कविता-संकलन ‘उस देश की कथा’ 26 वर्ष की आयु में प्रकाशित हुई थी, जिनमें वरिष्ठ वामालोचक डॉ. खगेन्द्र ठाकुर की समीक्षा भी प्रकाशित है।

भाषाई मायाजाल के परे सभी 21 कविताएं उस समय की ही नहीं , आज के समय की भी  सभी भाषाओं में आ रही कविताओं में सबसे आंदोलनकारी है । ‘उस देश की कथा’ नामक कविता में भोगवादी सोच और यहां तक की विलासी में डूबी महिला  को भी बख़्शा नहीं गया है । परंतु महिला को यहां तक पहुंचाने में वीर्यवान मर्दों के छीछले स्वभाव को नारीवादी कवयित्री स्वर्णलता विश्वफूल ने ‘ये उदास चेहरे’ में ऐसा आघात पहुँचाई है कि पंकज चौधरी भी बाद में वाह-वाह कर उठे थे !

मित्र पंकज की कविता में कवि इ. केदारनाथ की कविता ‘वो देश को दीमक की तरह चाट रहे हैं’ , बरबस याद आ जाते हैं । बकौल, पंकज —- “उस देश की कुर्सिनसीनों का कहना है / कि जब वो अपने अशुभ-अनार्य-योग्य चूतड़ को/ गौरव-गरिमा उच्चता और पाकीज़गी की प्रतिमूर्ति/ कुर्सी पर टिकाने का जतन करने लगता है/ तो स्वर्ग में/ उर्वशियों-मेनकाओं-रंभाओं के साथ/ प्रमुदित मैथुनरत इंद्र / के सिंहासन की चूलें हिलने लगती हैं ।”

पंकज चौधरी संघर्षरत् पत्रकार हैं, कई राज्यों के पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे हैं । सम्प्रति, वे दिल्ली रह रहे हैं, ‘युद्धरत आम-आदमी’ से जुड़े रहे हैं, तो सम्प्रति नोबेल पुरस्कृत श्री कैलाश सत्यार्थी के संगठन से जुड़े हैं।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.