गीत/नवगीत

इंद्रधनुषी संसार

दूर क्षितिज के पार
देखो इंद्रधनुषी संसार
आओ हाथ थाम कर
चल चलो चाँद के द्वार
इस पार तो जगत है
उस पार – बस प्यार
मुस्कानों के गहने पहन
सम्मान का कर श्रृंगार
चल चलो चाँद के द्वार
मेरे जन्मजन्मांतर के कर्म
कहीं कभी न पाया मर्म
भवधंध के चक्र तोड़
मेरी बिगड़ी दो संवार
चल चलो चाँद के द्वार
दीनबन्धु, मेरे दीनानाथ
कबहुँ छोड़ना न साथ
मोहे संग ले चलो
मोह-माया देउँ नकार
चल चलो चाँद के द्वार
पाप-पुण्य की किताब
कौन रखे सब हिसाब
अगण्य-नगण्य भूल-चूक
देव तुम्हीं देओ सुधार
चल चलो चाँद के द्वार
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी