सामाजिक

डॉ. अंबेडकर की जाति ?

डॉ. भीमराव को ‘आंबेडकर’ (अम्बेदकर) उपनाम महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण शिक्षक ने उन्हें अपना उपनाम उस वक़्त दिए,जब छात्र भीम राव स्कूल के शिक्षक, कर्मी, चपरासी और छात्रों के द्वारा छुआछूत व्यवहार से पीड़ित थे और उन्हें सहानभूति की जरुरत थी । इसप्रकार आंबेडकर उपनाम ब्राह्मण के हैं, लेकिन आज उनके सही उपनाम “सकपाल” की जरुरत है। उनकी कथित जाति ‘महार’ के उपनाम लिए ‘सकपाल’ के उदाहरण और कहीं नहीं मिलते है ! क्या आंबेडकर (भीमराव रामजी सकपाल) ‘महार’ नहीं, ‘कुम्हार’ थे ? ऑनलाइन पत्रिका Messenger of Art में सुस्पष्ट लिखा है। जाति ‘कुम्हार’ के साथ इसतरह के उपनाम के प्रत्यय ‘पाल’ लगे हैं ! कुम्हार भी अछूत रहे हैं ।

डॉ. आंबेडकर की जाति के ‘काम’ क्या थे, सुस्पष्ट नहीं हो पाये हैं ! मराठा बहुल प्रान्त को ‘महार-राष्ट्र’ कहना कुछ अजीब तो नहीं ! अगर ऐसा है, तो ‘महार रेजिमेंट’ के कारण ऐसा कहाना हो सकता है ! जिसतरह से स्वर्गीय बाल ठाकरे के पूर्वज बिहार (मगध) से बम्बई (मुम्बई) गए थे, उसी भाँति ‘सकपाल’ भी घुमंतू स्थिति लिए बंगाल से गए हों, ऐसे बिम्ब को नकारा नहीं जा सकता ! ‘कुम्हार’ का अपभ्रंश ही ‘म्हार’ व ‘महार’ हो ! ……. और भी कई  उदाहरण हैं। मध्यप्रदेश (सेंट्रल प्रोविंस) में ‘कुम्हार’ अनुसूचित जाति(s.c.) में है, जहाँ बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म हुआ था (महू में)। महार का अर्थ ‘माटी-पुत्र’ (son of soil) है और कुम्हार भी ‘माटी-पेशा’ से जुड़ा है। ‘मेहरा’ (मेहरोत्रा) S.C. में आते हैं, जो उच्चारण में ‘महार’ के समान है। मेहरा को कोई खत्री, तो महार के लिए सिंधी होने की समझ थी, ‘कश्यप’ गोत्र की दशा इनसे जुड़ी हैं ! ऐसे में दोनों जाति की पूर्व-स्थिति उच्च वर्ण की हो जाती है।

महाराष्ट्र के नागपुर में ‘महार’ और झारखण्ड के छोटानागपुर में ‘कुम्हार’ होने संबंधी यायावरी-दृष्टिकोण लिए हैं ! फिर Ramji sak pal (paul) लिए “paal” (गड़ेरी ‘पाल’ को छोड़कर ) कुम्हार ही है, क्योंकिं गड़ेरी ‘यादव’ जाति है । ‘Ambed’ को ब्राह्मण बाहुल्य जिला रत्नागिरी के ग्राम “Ambavade” के रूप में भी किसी ने लिखा है । जबकि उनकी माँ के वंशजों का उपनाम ‘Murbadkar’ बताई जाती है !

भीम राव के सूबेदार पिता की आर्थिक स्थिति ठीक थी। अगर “SAKPAL” को ‘SHANKHPAL” भी माने, तो भी ‘माटी कला’ के रूप लिए वे कुम्हार ही होंगे ! इस तरह से अम्बेडकर अनुसूचित जाति के नहीं थे ! जो भी हो, किन्तु भारत के संविधान के ‘जनक’ (father) के रूप में उनके नाम को प्राय: उछाला जाता है, परंतु कौन हैं – Father of Indian Constitution ? ये जानकारी भारत सरकार के ‘प्रधानमंत्री कार्यालय’ , ‘गृह मंत्रालय’, ‘सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय’, ‘राष्ट्रीय-अभिलेखागार’ तथा ‘डॉ. अम्बेडकर प्रतिष्ठान’ को भी  पता नहीं हैं…!!
यह जानकारी (भारतीय संविधान के जनक – संबंधी ) RTI (Right to Information से प्राप्त की गयी  है । इसके बावज़ूद भारतीय संविधान के पिता कौन हैं- यह प्रश्न अब भी अनुत्तरित है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.