सामाजिक

हवा में भी वायरस की मौजूदगी वेहद चिंताजनक

अब तक हम सभी यही सोच रहे थे कि वायरस सिर्फ छूने या संपर्क में आने पर फैलता है लेकिन आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ की टीम ने अपने शोध में कोरोना के हवाई संक्रमण की साक्ष्यों  की पहचान की है। उनका यह मानना है कि इतना बड़ा संक्रमण हवा के जरिए ही हो सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि दुनिया में 30-40 प्रतिशत संक्रमण ऐसे फैले है जहां न खांसी थी और न ही जुकाम था।
वैज्ञानिको के  शोध को अगर सही माना जाय तो आने वाला समय और भी भयावह और विकृत हो  सकता है।हवा का वायरसयुक्त होना मानव प्रजाति पर गहरे संकट की ओर इशारा करती है।ऐसे विकल्प की तालाश करनी होगी जो हवा में फैल रहे इस वायरस का खात्मा कर सके लेकिन अफसोस इसे मारने या रोकथाम के लिए कोई मेडिसीन अथवा कारगर उपाय नही हो सका है।
वैसे दुनियाभर के वैज्ञानिक इस वायरस की खात्मा के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं ऐसी आशा की जानी चाहिए कि जल्द ही कुछ न कुछ चमत्कार हो सकता है । मानव के उपर इस गहरे संकट से उबारने के लिए हमारा विज्ञान अभी विवश जरूर है लेकिन यह एक अवधि है संपूर्ण विज्ञान नहीं।इतिहास को देखा जाय तो अनेको बार मानव जाति पर आये संकट को उबारने में विज्ञान ने एक महत्वपूर्ण योगदान देकर उबारा है आने वाले समय में भी यही होगा। लेकिन तब-तक अपने आप को बचाना एक चुनौती है जिसे स्वंय को हिफाजत में रखकर मुकाबला हर किसी को करना होगा।
अब यह भी जरूरी हो गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियां संक्रमण के विवरण को विज्ञान के अनुरूप कर वायु में फैलने से रोकने के उपाय के बारे में ध्यान दें।सरकार के स्तर पर भी इन उपाय पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए। संक्रमण को हर हाल में रोकना होगा।
दुनिया जानती है कि वायरस आखिर चीन से ही फैला है लेकिन चीन में सबकुछ सामान्य हो जाना और दुनियाभर में फैलजाना एक गहरी अंतर्राष्ट्रीय साजिश की तरफ इशारा करती है जिससे कतई इन्कार नही किया जा सकता।वैसे भी दुनिया में भारत एक उभरती हुई  शक्ति है जो स्वंय ही हर आने वाले तूफान से टकराने की हुनर जानता है।आये दिन वोर्डर पर चीन व पाक की कुटील नीतियों को हमने बडे साहस और पराक्रम से ध्वस्त किया है। यदि यह वायरस में भी किसी तरह की साजिश है तो इसका फल उक्त देश अवश्य ही भुगतेगा ।
इस बात से भी इन्कार नही किया जा सकता कि आखिर इसका फैलाव दुनिया में इस वर्ष कम है। अपेक्षाकृत भारत के, ऐसा क्यूँ ? क्या भारत दुनिया की निगाहो में खटकने लगा है या भारत को कोई विकसित नही होने देना चाहता ?
— आशुतोष झा

आशुतोष झा

पटना बिहार M- 9852842667 (wtsap)