राजनीति

कोरोना पर विपक्ष की खोखली राजनीति व कांग्रेस शासित राज्य बेनकाब

जब से कारोना की दूसरी लहर का देश पर हमला हुआ है और पूरा देश कोरोना के खिलाफ पूरी एकजुटता के साथ जंग लड़ रहा है और जब कांग्रेस व विरोधी दलों के नेताओं को शांत होकर पूरी एकुटता के साथ सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए था, तब ये नेता टिवटर पर ही रोज राजनीति कर रहे हैं। राहुल गांधी रोज सरकार के सिस्टम को फेल तो बता रहे हैं लेकिन वह समस्या का समाधान नहीं बता रहे, अपितु समस्या का विकराल रूप बताकर देश को बदनाम करने की साजिश अधिक रच रहे हैं। राहुल गांधी एंड कंपनी चाहती है कि मोदी सरकार की छवि खराब हो लेकिन वह हो नहीं पा रही, क्योेंकि देश की जनता को मोदी जी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा था, है और रहेगा। राजनैतिक वास्तविकता यह है कि कांग्रेस को ही राहुल गांधी व गांधी परिवार पर भरोसा नहीं रह गया है। राहुल गांधी व प्रियंका गांधी समझ रहे हैं कि टिवटर पर रोज ट्विट करके देश की जनता को गुमराह किया जा सकता है, देश में अराजकता मचायी जा सकती है। परन्तु यह संभव नहीं है, क्योंकि पूरा देश अच्छी तरह से गांधी परिवार की योग्यता को समझ गया है।
राहुल गांधी कह रहे हैं कि सिस्टम फेल हो गया है। हां सिस्टम! फेल तो हो गया है लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे कांग्रेस शासित राज्यों का। एनडीए शासित राज्य सरकारों की तुलना में कांग्रेस और यूपीए की राज्य सरकारों में हालात काफी खतरनाक हैं। देश में कोरोना के सक्रिय होने और रोगियों के मरने के मामले उन राज्यों में सबसे ज्यादा हैं, जहां कांग्रेस और यूपीए की राज्य सरकारें हैं। पूरे देश मेें सक्रिय मामलों की संख्या 27,65,490 और मौतों का आंकड़ा 1,93,055 है जिनमें यूपीए शासित राज्यों सक्रिय मामले 16,42,080 (59 प्रतिशत) और मौतों के आंकड़े 1,27,250 (66 प्रतिशत) हें। इनमें कांग्रेस शासित राज्यों में कोरोना के सक्रिय मामले 10,46,302 (38 प्रतिशत) और मौतों के आंकड़े 84,884 (44 प्रतिशत) हैं हैरानी की बात है कि यूपीए शासित राज्यों में जनसंख्या 44 प्रतिशत और कांग्रेस शासित राज्यों की जनसंख्या 22 प्रतिशत है। जबकि एनडीए शासित राज्यों की जनसंख्या 56 प्रतिशत है।
प्रति दस लाख जनसंख्या पर भी यूपीए कांग्रेस और एनडीए शासित राज्यों में सक्रिय मामले और मौतो के आंकड़ों में भी काफी अंतर है। प्रति दस लाख की जनसंख्या पर यूपीए शासित राज्यों में सक्रिय मामले 3547 और मौतों का आंकड़ा 288 है। जबकि एनडीए शासित राज्यों में सक्रिय मामले 1494 और मौतों का आंकड़ा 88 है। ये आंकड़े ही सारी तस्वीर बयां कर रहे हैं किएनडीए शासित राज्यों की तुलना में यूपीए और कांग्रेस शासित राज्यो में हालात बहुत खराब हैं। कांग्रेस शासित राज्यों की नाकामी का खामियाजा पूरा देश भुगत रहा है। आंकड़ें खुद गवाही दे रहे हें कि कांग्रेस शासित राज्यों की लापरवाही, राजनीति, दुष्प्रचार का खामियाजा इन राज्यों की जनता को भुगतना पड़ रहा है। राहुल गांधी कह रहे हैं कि सिस्टम फेल हो गया है। हां राहुल जी सिस्टम तो फेल तो हो गया है, लेकिन पहले अपने गिरेबां में झांकें।
छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग जैसे शहरों में आधी-आधी रात तक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक धक्के खाते मरीज और उनके परिजन राजधानी रायपुर के अस्पताल के बाहर दिन भर बेड की उम्मीद थरथराते, कांपते, हांफते और एक-एक सांस के लिए तड़पते दम तोड़ते कोरोना संक्रमितों की दिल दहला देने वाले दृश्य क्या झूठे हैं? राहुल और प्रियंका जी, वहां पर बीजेपी की सरकार नहीं है। आप विदेशी समाचार पत्र पढ़ते हैं बीबीसी लिख रहा है कि “कोरोना से छत्तीसगढ़ बेहाल, मरीज परेशान, शवों के लिए जगह नहीं।” रायपुर शहर की दवा की दुकानों में रेमडिसिविर व दवाओं के लिये लंबी कतारें लगी हुई हैं। रायपुर के सबसे बड़े बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर अस्पताल के शव घर में नये शवों को रखने की जगह नहीं बची है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी के बीच नक्सली हमलों में भी तेजी आ गयी हैं। दूसरा दुर्भाग्य यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पीएम मोदी पर बंगाल में रैलियां करने का आरोप तो खूब लगा रहे हैं, लेकिन कोरोना महामारी के संकट के आगमन के समय वह असोम में क्या कर रहे थे और जब नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हो गये थे, तब भी वह असोम में चुनावी रैली ही कर रहे थे।
आज अगर कोरोना पर सबसे अधिक विकृत राजनीति कोई कर रहा है तो वह हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। वह हर चीज पर राजनीति कर रहे हें। उनके पास कुछ भी नहीं हैं वह अब दूसरों की देखा-देखी वैक्सीन की कमी का रोना रो रहे, आक्सीजन की कमी का रोना रो रहे और रेमडेसिविर तथा अस्पतालों में बेड की कमी का रोना रो रहे। करना-धरना कुछ नहीं और केंद्र सरकार व बीजेपी पर केवल आरोप लगाने की ओछी राजनीति करना ही आता है कांग्रेस व उनके नेताओं को।
कांगे्रस की नेता प्रियंका गांधी आजकल यूपी के लिए बहुत सक्रिय रहती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को जनता के सामने बेनकाब करने के लिए हर सुबह और शाम दिनभर ट्विट पर ट्विट किये रहती हैं। लेकिन कई बार वह स्वयं फंस जाती हैं और बेनकाब हो जाती हैं। एक दिन उन्होंने बहुत ही घटिया ट्विट किया कि यूपी सरकार अस्पतालों की क्षमता नहीं बढ़ा रही, अपितु श्मशानों की क्षमता बढ़ा रही है। प्रियंका के ट्विट बहुत ही गंदे और मानसिक विकृति के परिचायक होते हें। सच्चाई से कोसों दूर होते हैं वह योगी सरकार की छवि को तो कम खराब करते हैं? लेकिन उनकी अपनी छवि जरूर रसातल में जा रही है। असल में उनका यह ट्विट लगता है राजस्थान सरकार के लिए था। राजस्थान सरकार ने पूरे प्रदेश में एक नया फरमान जारी किया है कि कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार जो फंड अंतिम संस्कार के लिए जारी कर रही है, उससे तो मरीजों की जान बचाई जा सकती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलौत का कहना है कि अंतिम संस्कार के लिए पूरा खर्च उठाएगी। शव को अस्पताल से श्मशान, कब्रिस्तान ले जाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस वाहन की सुविधा भी देगी। सरकार की सोच क्या है, क्या वह लोगों का इलाज नहीं करा सकती और उसने लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है। राजस्थान सरकार भी बुरी तरह से कोरोना की रोकथाम में नाकाम हो चुकी है। पूरी तरह से असफल सरकार है, वहां की जनता रो रही है। कांग्रेस शासित राज्यों का सच देश के सामने आना ही चाहिए। वहीं केवल राहुल गांधी और प्रियंका गांधी और उनके सभी सिपहसालारों को लग रहा है कि ट्विटर पर चिड़िया उड़ाकर मोदी जी व उनकी सरकार तथा बीजेपी शासित राज्य सरकारों की छवि को धूमिल किया जा सकता है, बदनाम किया जा सकता है। ट्विटर के माध्यम से राहुल गांधी केवल अपनी सरकारों की नाकामी को ही छिपा रहे हैं। कोरोना महामारी पर कांग्रेस व विपक्ष के नेता केवल गिद्ध राजनीति ही कर रहे हैं। आपदा में अपने लिए अवसर खोज रहे हैं। लेकिन अब विपक्ष स्वयं बेनकाब हो रहा है और जनता नेताओं से ऊब रही है। जनता के बीच उन नेताओं के प्रति भरोसा समाप्त हो रहा जो केवल सुबह और शाम सरकार की आलोचना करते रहते हैं।
— मृत्युंजय दीक्षित