सामाजिक

क्यों कम है ऑक्सीजन

इस वक्त देश विषम परिस्थितियों में घिरा है। अस्पताल में आईसीयू बेड और ऑक्सीजन की कमी भी बड़ी चिंता का विषय है। डबल म्यूटेंट कोरोना वैरिएंट में सांस से जुड़ी तकलीफ ज्यादा देखने को मिल रही है। अस्पताल में ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी पड़ गई है। ऐसे में ट्रिपल म्यूटेंट कोरोना वैरिएंट की ख़बर से डॉक्टरों, मरीजों और उनके तीमारदारों के बीच अफरातफरी है। सोशल मीडिया पर भी तरह तरह की बातों से हंगामा मचा हुआ है। लोग सरकार को खूब खरी-खोटी सुना रहे हैं। प्राणवायु की कमी से कोरोना मरीजों की मौतों की भी खबरें आईं। ऐसे में प्रश्न उठता है हवा में इतना ऑक्सीजन है और हम सांस लेते रहते हैं तो भी शरीर में ऑक्सीजन की कमी क्यों है? आइए सबसे पहले यह समझें कि शरीर में यह ऑक्सीजन स्तर होता क्या है?
कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षणों का सर्दी, जुकाम, खांसी, कफ, बुखार आदि से पता लगाया जा सकता है। इसमें सबसे अहम है आपके शरीर का तापमान और ऑक्सीजन का स्तर। यदि ये दोनों सही नहीं है तो व्यक्ति को तत्काल अपना अगला परीक्षण करवाना चाहिए। शरीर का तापमान 100-101 से ऊपर नहीं होना चाहिए, यदि यह इस मानक से ऊपर है तो व्यक्ति को निश्चित ही अपनी जांच करवानी चाहिए। साथ ही ऑक्सीजन कर स्तर 90 से कम नहीं होना चाहिए। यदि ऑक्सीजन स्तर 90 से कम है तो चिंता की बात है और व्यक्ति को अपनी जांच करवानी चाहिए। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का मतलब हमारे खून में ऑक्सीजन की मात्रा है। अगर खून में पारे के स्तर के 75 से 100 मिलिमीटर के बीच ऑक्सीजन है तो इसे सामान्य स्तर माना जाता है। लेकिन स्तर 60 मिलीमीटर से नीचे है तो इसे सामान्य से कम माना जाता है। तब आपको ऑक्सीजन सप्लीमेंट की आवश्यकता पड़ती है। हम सभी जानते हैं कि जब हम सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन अंदर जाती है और सांस छोड़ते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है। यह काम हमारे फेफड़े के सबसे निचले भाग जिसे वायुकोष्ठिका कहा जाता है से होता है। इसीलिए हमें गहरी सांस लेनी चाहिए ताकि वायु का प्रवाह फेफड़े के निचले हिस्से तक पहुंच सके। हवा वायुकोष्ठिका में पहुंचती है तो खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को नियंत्रित करने में हमारी सांस लेने की दर का बहुत महत्व है। एक स्वस्थ युवा प्रति मिनट 12 से 20 बार सांस लेता और छोड़ता है। लेकिन, इसकी सही दर प्रति मिनट 6 से 8 बार है। इसका अर्थ यह है कि जल्दी-जल्दी सांस लेने के बजाय गहरी सांस लेना फायदेमंद है। अगर आप जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं तो हमें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।
हम अपने श्वसन तंत्र के जरिए वातावरण में फैली हवा से ऑक्सीजन लेते हैं। यह ऑक्सीजन सीधे हमारे खून में जाती है जहां लाल रक्त कोशिकाओं का काम  रक्त वाहिकाओ के जरिए ऑक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना है। ऐसे में लाल रक्त कोशिकाएं जितनी तंदुरुस्त होंगी, हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर उतना ही दुरुस्त होगा।
सबसे पहले यह जान लें कि शरीर में ऑक्सीजन लेवल घटने से जो स्थिति पैदा होती है, उसे हाइपोक्सेमिया या ऑक्सीजन की कमी कहा जाता है। यह स्थिति खतरनाक है। इसके कई कारण हैं। जैसे कि प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने के कारण हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होना, फेफड़े की कमजोरी के कारण गहरी सांस लेने में अक्षमता जिससे कारण सभी कोशिकाओं और उत्तकों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, खून के प्रवाह में इतना जोर नहीं रहना कि वो फेफड़ों से ऑक्सीजन जमा करके पूरे शरीर में भेज सके। इनकी भी वजहें हैं, जैसे- अस्थमा, दिल की बीमारी, एनीमिया, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां, न्यूमोनिया, खून जमने जैसी परेशानियों के कारण धमनियो का सिकुड़ना, सीने में हवा या गैस की मौजूदगी के कारण फेफड़े का सिकुड़ना, फेफड़ों में द्रव्य की ज्यादा मात्रा, गहरी नींद का अभाव, नींद और दर्द की दवा का ज्यादा उपयोग आदि। कोरोना वायरस की दूसरी लहर की बुरी तरह चपेट में है। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में ऑक्सीजन लेवल कम होना एक बड़ी समस्या है। कोविड मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते ही देश में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। डॉक्टर लगातार कोविड मरीजों को अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करने की सलाह दे रहे हैं। सबसे चौंकाने और चिंता की बात है कि अब तक जो मौत हुई है, उनमें से बहुत सी हैप्पी हाइपोक्सिया स्टेज के कारण हुई है। यानी मरीज के शरीर में ऑक्सीजन के लेवल का पता ही नहीं चल पाता है और वह मौत की तरफ धीरे-धीरे बढ़ जाता है। इसमें मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 70 प्रतिशत तक पहुंचने के बाद भी वह सामान्य रहता है और धीरे-धीरे मौत की तरफ बढ़ता जाता है। जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 30 से 40 प्रतिशत पर पहुंच जाता है तो मरीज को अस्पताल लाया जाता है। इसमें रिकवर करने में मुश्किल होती है और अचानक मरीज की मौत हो जाती है। शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को मापने के दो प्रचलित तरीक़े हैं। सबसे आसान है पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से इसका स्तर जांचना। लेकिन एक्युरेट रिज़ल्ट के लिए आर्टिरियल बल्ड गैस या एबीजी टेस्ट कराया जाता है। एबीजी में आमतौर पर कलाई के पास से ख़ून का सैम्पल लेकर लैब में टेस्ट किया जाता है। इसका नतीजा एकदम सही आता है। वहीं भले ही पल्स ऑक्सीमीटर आसान हो, पर इसके नतीजे की एक्युरेसी पर बहुत ज़्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि कई बार एक ही व्यक्ति के लिए अलग अलग नतीजे दिखने को मिलते हैं। इसमें हाथ की उंगलियों पर एक छोटा-सा डिवाइस लगाया जाता है, जो व्यक्ति के पल्स के आधार पर शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बताता है। घरों में इस्तेमाल के लिए यह एक अच्छा और उपयोगी डिवाइस है। पल्स ऑक्सीमीटर ऑन करने पर अंदर की ओर एक लाइट जलती हुई दिखाई देती है। यह आपकी त्वचा पर लाइट छोड़ता है और ब्लड सेल्स के रंग और उनके मूवमेंट को डिटेक्ट करता है। आपके जिन ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन ठीक मात्रा में होती है वे चमकदार लाल दिखाई देती हैं, जबकि बाकी हिस्सा गहरा लाल दिखता है। बढ़िया ऑक्सीजन मात्रा वाले ब्लड सेल्स और अन्य ब्लड सेल्स यानी कि चमकदार लाल और गहरे लाल ब्लड सेल्स के अनुपात के आधार पर ही ऑक्सीमीटर डिवाइस ऑक्सीजन सैचुरेशन को फीसदी में कैलकुलेट करती है और डिस्प्ले में रीडिंग बता देती है। आपका ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे आने पर डॉक्टर प्रोनिंग एक्सरसाइज की सलाह दे रहे हैं। इसके करने से शरीर का ऑक्सीजन लेवल तेजी से बढ़ता है। कोविड संकट के इस दौर में शरीर में ऑक्सीजन लेवल को मेनटेन रखने के लिए संक्रमण हुए बिना भी इस एक्सरसाइज को किया जा सकता है। प्रोनिंग एक्सरसाइज को हम सामान्य तौर पर पेट के बल लेटने को कहते हैं। हालांकि एक्सरसाइज में सिर्फ पेट के बल लेटना ही नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रोनिंग करने का स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जारी तरीका बताया है। इसमें आसान स्टेप में पोजीशन बताई गई हैं जिसे करने कसे ऑक्सीजन का स्तर सही होता है जो कोविड-19 के मरीजों के लिए बहुत ही लाभदायक है। ऐसे कोविड मरीज जो होम आइसोलेशन मे हैं उनके लिए यह कारगर उपाय है। इसके लिए एक तकिए को गर्दन के नीचे रखें। इसके बाद एक या दो तकिया सीने के नीचे रखें और एक तकिया नीचे टखने के पास रखें। इस स्थिति में कुछ देर लेटे रहें। इससे भी काफी मदद मिलेगी। खाना खाने के एक घंटे बाद तक प्रोनिंग करने से बचें। प्रोनिंग उतनी बार ही करें जितनी बार इसे आसानी से कर सकते हैं। जबरदस्ती प्रोनिंग न करें। अगर आराम महसूस होता है तो एक व्यक्ति दिन में अलग-अलग चक्र में 16 घंटे तक प्रोनिंग कर सकता है। जो महिलाएं प्रेगनेंट हैं उन्हें प्रोनिंग नहीं करनी चाहिए।डीप वीनस थ्रॉम्बोसिस (48 घंटे में इलाज होने की स्थिति में) वाले प्रोनिंग न करें। इसके साथ ही जिन्हें दिल की गंभीर बीमारियों संबंधी समस्या है उन्हें भी प्रोनिंग न करने की सलाह दी जाती है। रीढ़ की समस्या, फीमर, पेल्विक फ्रैक्चर होने की स्थिति में भी प्रोनिंग न करें।
कोरोना से लड़ने के लिए व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी सही होनी चाहिए। जिनकी इम्युनिटी अच्छी है, वे कोरोना का अच्छे से मुकाबला कर सकते हैं। आयुष मंत्रालय ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आयुर्वेद के परखे गए कई उपायों पर एक एडवाइजरी 31 मार्च 2020 को जारी की गई थी जिसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काफी कारगर बताया गया था। उन सामान्य उपायों का प्रयोग करके आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं। ऑक्सीजन लेवल मेंटेन करने के लिए कोशिश करके ताजी हवा में सांस लें। इसके लिए घर की खिड़कियां खुली रखें। बालकनी के दरवाजे खुले रखें। बालकनी में बैठें भी। घर से बाहर निकलें, पार्क या किसी अन्य हरी-भरी जगहों पर जाएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। खून में ऑक्सीजन पहुंचाने और शरीर से कॉर्बन डाइऑक्साइड निकालने के लिए हमारे फेफडों को हाइड्रेशन की जरूरत पड़ती है। इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि शरीर में इसकी कमी नहीं हो। ध्यान रहे कि हमारा शरीर हर दिन औसतन 400 मिलीलीटर पानी सोखता है। आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करें। ऑक्सीजन के लाने-ले जाने का काम हमारी लाल रक्त कोशिकाओं में होता है जिसे तंदुरुस्त रखने के लिए आयरन की जरूरत होती है। अगर आयरन की पर्याप्त मात्रा नहीं मिलेगी तो आप थकान महसूस करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि आयरन के अभाव में कमजोर हुईं आपकी लाल रक्त कोशिकाएं पूरे शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं कर पाती हैं। आयरन की सही मात्रा बरकरार रखने के लिए आपको हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अंडे, चिकन और मछली खाना चाहिए। शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाना है तो व्यायाम भी किया करें। दरअसल, हम जितना ज्यादा ऑक्सीजन लेकर इसका उपयोग करते हैं, उतना ज्यादा हमारी कोशिकाएं ताकतवर बनती हैं। ताकतवर कोशिकाएं हमें ऊर्जावान बनाए रखती हैं। कुल मिलाकर, एक्सरसाइज से ऑक्सीजन का ज्यादा उपयोग होगा और इससे आपको ज्यादा ताकत और फूर्ति मिलेगी। सिर्फ एक्सरसाइज से काम नहीं चलेगा, आपको सांस लेने का भी सही प्रशिक्षण लेना होगा। सांस लेने के इस अभ्यास से न केवल हमारा ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है बल्कि इससे हम तनाव मुक्त भी हो जाते हैं। इस सबसे भी ऊपर एक बात है जिसका ध्यान रखना अति आवश्यक है। हमें नकारात्मक माहौल से सकारात्मकता की तरफ कदम बढ़ना होगा। हमें यह विश्वास अपने अन्दर जगाना होगा कि हम कोरोना नामक इस वायरल संक्रमण को स्वस्थ जीवनचर्या और अपनी इच्छाशक्ति के बल पर हरा सकते हैं।
– शिप्रा खरे (गोला गोकरण नाथ – खीरी)

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - shipradkhare@gmail.com