सामाजिक

शिक्षा और शैक्षिक वातावरण का मानव जीवन में महत्व

शिक्षा देने के लिए एक शिक्षक ही हो ऐसा कोई जरुरी नहीं है। मैं ये बात पूछना चाहती हूं कि पुराने समय में हमारे माता पिता जब शिक्षित नहीं थे यानी उन्हें अक्षर ज्ञान नहीं था तो क्या वे अपने बच्चों को या अपने संपर्क में आने वालों को उचित शिक्षा, अच्छे संस्कार नहीं देते थे। वास्तव में सच तो ये है कि उस जमाने की शिक्षा और संस्कार बहुत अधिक गूढ, लाभदायक और टिकाऊ थे। आज के ज़माने में भी शिक्षा तो प्रचुर मात्रा में पाई जाती है परंतु संस्कारों की कमी होती जा रही है। इसकी पीछे कारण बहुत हैं। आधुनिक संचार साधनो की अधिकता, पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव और भी ना जाने क्या-क्या। वास्तव मे शिक्षा आधारित है अच्छी भावनाओं पर, संस्कारों पर, ज्ञान पर, व्यक्तित्व पर, आस्था पर, धर्म पर, गुणों पर, अनुभव पर ।

 हम आजकल शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान से ही संबंधित कर लेते हैं जो मेरे विचार में उचित नहीं है। एक बात और कि शिक्षा प्रदान करने के लिए किसी विशेष समय, किसी विशेष केंपस प्रांगण इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि शिक्षा इन सब दायरो से आगे है। यहां हम औपचारिक शिक्षा की बात नहीं कर रहे हैं क्योंकि औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए तो एक नियम की, अनुशासन की और निश्चित समय की पालना आवश्यक है।

 एक शिक्षक जो रिटायर हो चुका है क्या वो अब शिक्षा प्रदान नहीं करेगा? यदि कोई उसके पास समस्या लेकर आता है तो क्या वह यह कहकर उसे भेज देगा कि अब वह रिटायर हो चुका है। अब शिक्षा नहीं देगा या किसी समस्या का समाधान प्रस्तुत नहीं करेगा। नहीं ऐसा नहीं है बल्कि वह उस समस्या का यथासंभव हल अपनी शिक्षा और अनुभव के साथ प्रदान करेगा ।

 अनुभव और शिक्षा किसी भी समय, किसी को भी दी जा सकती है। तथा औरतों के संदर्भ में तो यह और अधिक जिम्मेदारी का काम है क्योंकि एक औरत को अपने दोनों परिवार में उचित शिक्षा, उचित वातावरण का सृजन करना होता है। और इसके लिए उस पर जिम्मेदारी होती है अपने बच्चों के भविष्य की क्योंकि यदि वह बेटियों की मां है तो उसे अपनी बेटियों को इस तरह की शिक्षा प्रदान करनी होगी कि आने वाले समय में वह अपने परिवार और आगे अपने बच्चों में इस शिक्षा और संस्कारों को हस्तांतरित कर सके, इसमें अपने अनुभव जोड़कर। अतः शिक्षा और शिक्षक साधारण विषय नहीं है। एक शिक्षा ही है जो मनुष्य को मनुष्य बनाती है, क्योंकि

“राष्ट्र निर्माता है जो वह सबसे बड़ा इंसान है,

किसमें कितना ज्ञान है बस इसको ही पहचानना।

— कु. निधि सजवान

कु. निधि सजवान

●इतिहास विषय में UGC-NET परीक्षा उत्तीर्ण, ●UK- SET परीक्षा उत्तीर्ण, ●वर्तमान में डेनियलसन डिग्री कॉलेज ,छिंदवाड़ा, (मध्य प्रदेश) में इतिहास विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद में कार्यरत हूँ। ●लेखन कार्य आरंभ करके अपने विषय से संबंधित महत्वपूर्ण लेखों को ही आप तक पहुँचाने का मुख्य उद्देश्य।

One thought on “शिक्षा और शैक्षिक वातावरण का मानव जीवन में महत्व

  • शशांक मिश्र भारती

    बहुत सुन्दर बधाई

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