गीत/नवगीत

माँ

माँ ! अनुपम उपहार दिया है।
निश्छल प्यार अपार दिया है।।

करुणासिंधु तुम्हीं गंगाजल,
तुम्ही आदिगुरु ईश्वर छाया।
अंक तुम्हारा पाकर मैंने,
तीन लोक का सुख सब पाया।।
चारों धाम समाये जिसमें,
मृदु सुरभित संसार दिया है।।
माँ अनुपम •••••••

खेल – खेल में हँसते – गाते,
नैतिकता का पाठ पढ़ाया।
निर्मलता तन-मन में भरकर,
सम्बन्धों का मान बढ़ाया।।
प्रीति नीति आदर्श सिखाकर,
जीवन को विस्तार दिया है।।
माँ अनुपम••••••

अहसासों का नर्म बिछौना,
वासंती पुष्पों सी माला।
चंदन की शीतलता जैसी,
हँसकर पी लेती दुख-हाला।।
अमिय- स्रोत तुम जीवनदायी,
हँसें ‘अधर’ अधिकार दिया है।।
माँ अनुपम••••

— शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- vshubhashukla@gmail.com