सामाजिक

सकारात्मकता से ही जीतेंगे कोरोना व उसके बुरे प्रभावों से जंग

वर्तमान कोरोना काल भारत के लिए ही नहीं अपितु पूरे विश्व के लिए एक बहुत कठिन समय लेकर आया है। इस कालखंड में हम सभी ने अपने बहुत सारे प्रियजनों व समाज व देश की बड़ी हस्तियों को खो दिया है। चारों तरफ निराशा, चिंता, तनाव व मानसिक अशांति के कारण बहुत सारी समस्याओं का जन्म हो रहा हैं। कोरोना काल में बहुत से लोग बेरोजगार हो गये हैं जिसके कारण युवाओं को अपने भविष्य की चिंता सता रही है। जो लोग इस समय अपनी नौकरियां कर रहे हैं, उन्हेें अपनी नौकरी बचाने की भी चिंता सता रही है। लेकिन कोरोनारूपी यह जो आपदा आयी है, इसके कारण सब कुछ बुरा ही हो रहा है, ऐसा नहीं है।
कोरोना काल में जहां एक ओर लोग कालाबाजारी व जमाखोरी कर रहे हैं। वहीं समाज व देश में सकारात्मक वातावरण पैदा करने के लिए समाज की हस्तियां आगे आ रही हैं। आज समाज में जिस प्रकार से नकारात्मकता की भावना गहरी होती जा रही है उसे समाप्त करने के लिए समाज को जगाने के लिए तथा उसे आगे बढ़ाने के लिए समाज की जानी मान हस्तियों ने ”हम जीतेंगे – पाॅजिटिविटि अनलिमिटेड“ नामक एक श्रृंखला का आयोजन किया था। यह एक बहुत ही अच्छा व सराहनीय कदम था समाज में सकारात्मकता फैलाने के लिए। लेकिन मीडिया के एक तथाकथित वर्ग ने इस पवित्र आयोजन को भी राजनैतिक रंग में रंगने का असफल प्रयास कर दिया और कहा कि यह आयोजन संघ की ओर से मोदी सरकार की बिगड़ रही छवि को ठीक करने के लिए किया जा रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि यह पाजिविटि अनलिमिटेड श्रृंखला का आयोजन पूरी तरह से गैर राजनैतिक था और जनमानस में सकारात्मकता का भाव पैदा करने के लिए था।
इस श्रृंखला को कई धार्मिक गुरूओं व हस्तियों ने संबोधित किया तथा समापन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत जी के उदबोधन से हुआ। सभी वक्ताओं का एकमत रहा कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ हमारी लड़ाई जंग की स्थिति जैसी है। इसमें घबराहट, हताशा, भय व क्रोध जैसी चीजें हमारा नुकसान नहीं कर सकती। यह समय एक दूसरे पर दोषारोपण करने का नहीं बल्कि पूरे मानव समाज एक साथ खड़े होने का है। वर्तमान में यह आवश्यक है कि हम जो भी काम कर रहे हैं उन्हें करना जारी रखें। सारी गतिविधियां एकदम से बंद करने से राष्ट्र या विश्व को इस चुनौती का समाधान नहीं मिलेगा बल्कि इससे हम पर और प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि बिना लोगों के नजदीक जाये और सवंमित हुए अपना काम करते रहें। कोरोना संकट की इस घड़ी में हमें अपने लाइफस्टाइल की नहीं, लाइफ की चिंता करनी चाहिए। वर्तमान समय में हमें आलोचना और चर्चा में अपनी श्वांस और ऊर्जा नहीं गंवानी चाहिए। महामारी के इस दौर में हम पश्चिमी सोच के अनुरूप अपने लाइफ स्टाइल पर ज्यादा केंद्रित हो गये हैं और उसका मोह हमें छोड़ना पडेगा। यह समय बहुत गहरे जाकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटने का है जो मानव के भीतर जाकर स्वस्थ होने पर बल देती है। कम से कम भारत को यह उदाहरण विश्व के सामने स्थापित करना चाहिए।
कोरोना कालखंड में यह पता चल रहा है कि योग, आयुर्वेद, ध्यान, प्राणायाम और शंखध्वनि आदि से बहुत लोग स्वस्थ हो रहे हैं। योग की आज महत्ता बढ़ गयी है यह हमारी सनातन संस्कृति का एक बहुत बड़ा सकारात्मक पक्ष है, जिसे समाज में और अधिक गति से सामने लाने की आवश्यकता है। युद्ध के समय हमें खुद को तैयार करना चाहिए। दिन में करीब 30 मिनट स्वयं की रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए व्यायाम को देना चाहिए। जिसमें सबसे अधिक उपयुक्त प्राणायाम की सभी विधाओं को अपनाना चाहिए। महामारी एक संकट है जिसे भारत जैसे बड़े देश में सीमित संसाधनों के साथ नियंत्रण में लाने की कोशिश की जा रही है। इस समय हम सभी को जागरूकता फैलानी चाहिए। अफवाहें फैलाने, भ्रम और दोषारोपण की राजनीति से बचना चाहिए।
भारतीय समाज में वर्तमान चुनौती सहित किसी भी चुनौती का सामना कर उस पर विजय प्राप्त करने की क्षमता है। यह बीमारी तन की बीमारी है मन की नहीं। यह समय अपने मन को अच्छा रखने का समय है। यदि मन अच्छा रहता है तो अधिकांश बीमारी स्वयं ठीक हो जाती है जबकि कुछ लोगों को पता ही नहीं चलता कि वह बीमार हैं या फिर उन्हें किसी प्रकार की बीमारी आयी है और अगर आयी है तो वह कब समाप्त हो गयी उन्हें पता ही नहीं चलता। पाजिटिविटि श्रृंखला में यह बात सामने आयी कि वर्तमान समय में निर्बल के राम पर हमारे विश्वास की परीक्षा है। हमें इस समय धैर्य और जोश के साथ करुणा का भाव जगाते हुए सेवा कार्य करना चाहिए। वर्तमान समय परीक्षा का है और हमें ईश्वर को याद करना चाहिए। वर्तमान समय अपने अंदर धैर्य जगाने का है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम अपने अंदर जोश जगायें और साथ ही होश संभालते हुए सही दिशा में प्रयास करें। इस समय हमें नियमों का पालन करना चाहिए और नकारात्मकता का भाव मन में नहीं लाना चाहिए। हम सभी को कोरोना संकट काल का एकजुट होकर मुकाबला करना होगा तथा करुणा व सेवा पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। करुणा की कब आवश्यकता है? जब व्यक्ति उदास है, दुःखी है, दर्द से पीड़ित है यहा करुणा अपने भीतर जगायें और हम सभी सेवा कार्य में लग जायें।
वर्तमान समय में नकारात्मक मानसिकता और नकारात्मक बातों से हमें बचना चाहिए। वर्तमान संकट में यदि हम विश्वास के साथ मेहनत करेंगे तो फल मिलेगा। इस युद्ध में हम सफल होंगे। वर्तमान संकट से मुंिक्त के लिए दो प्रकार की कोशिश करनी चाहिए। एक प्रार्थना मंत्र, स्तुति, सदाचार नियम- पालन और हनुमान चालीसा। दूसरा चिकित्सा द्वारा। आज समाज में सकारात्मक वातावरण की बहुत अधिक जरूरत है। जिससे हताशा व निराशा का दौर समाप्त हो।
वर्तमान समय में भारत की समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा का पालन कर समाज आंतरिक शक्ति जागृत कर कोरोना संकट का सामना सफलतापूर्वक करने में सफल होगा। वर्तमान समय मे ंपरमात्मा का चिंतन करें, गीता पाठ करें, गुरूवाणी का पाठ करें ओर अपने शरीर को स्वस्थ रखें और मन को भी स्वस्थ रखें। यदि मन स्वस्थ है तो सब कुछ स्वस्थ होगा। भारत की परंपरागत जीवनशैली में जीवन के सभी तत्व पहले से ही मौजूद रहे हैं जिनका पालन करने के लिए आज चिकित्सक कह रहे हैं। वर्तमान संकट जो आया है जो दुःख आया है वह भी चला जायेगा। इसलिए घबराने व मानसिक संतुलन खोने की कोई आवश्यकता नहीं है।
समाज में सकारात्मकता लाने के लिए कई प्रकार के काम किये जा सकते हैं। आज देश के कई युवा घर पर खाली बैठे बोर हो रहे हैं उनके लि यह समय खाली बैठने का नहीं है। युवाओं को आपदा में अपने लिए अवसर खोजना चाहिए। कोरोना काल में बहुत से युवा समाज सेवा में जुट गये है। यह समय नयी चीजों को सीखने का समय है। युवाओं को अपने ज्ञान का विस्तार करना चाहिये। अपनी मूल सनातन संस्कृति के विषय में जानकारी बढ़ाने का प्रयास करना चाहिये। स्टार्टअप प्रयोग करने चाहिये। आज समाज के कई गिद्ध कोरोना काल में अपने लिए अवसर खोज रहे हैं वह अफवाहें, भ्रम फैलाकर समाज को दिग्भ्र्रमित करना चाह रहे हैं और कुछ असमाजिक तत्व कालाबाजारी व जमाखेरी भी कर रहे हैं। ऐसे तत्वों के खिलाफ युवाओं को आगे आकर काम करना चाहिए। यह भी एक सकारात्मक कदम होगा। कोरोना पर जागरूकता फैलाना और जनमानस को सही जानकारी प्रदान करना भी एक सकारात्मक काम है।
समाज में जागरूकता लाने के लिए देश का युवा कई प्रकार से सहयोग व काम कर सकता है। घर पर रहकर वह अपने परिजनों का हालचाल जान सकता है। घर पर जो लोग काम करने आते हैं उनके परिवार के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकता है अगर उन्हें किसी मदद की आवश्यकता है तो वह भी देने का प्रयास कर सकता है। आज कोरोना काल में परिवार प्रबोधन का काम भी अतिमहत्वपूर्ण ह,ै फोन व सोशल मीडिया के माध्यम से एक- दूसरे का हालचाल लेकर परिवार प्रबोधन को बढ़ाया जा सकता है और इससे परिवार में अपनापन भी बढ़ता है। आज एकजुटता ही सबसे बड़ा हथियार और एक बात यह भी है कि एकजुटता व सकारात्मकता के कारण ही लाख संकट आ जाये लेकिन हमारी हस्ती है कि मिटती नही।
हम जीतेंगे यह बात निश्चित है। हम प्रयासों में लग जाये, निराशा का कोई कारण नहीं, सजग रहना पड़ेगा, सक्रिय रहना पड़ेगा। वचर्तमान समय लडने का नहीं, निराशा का नहीें। है। एकजुटता प्रदर्शित करने, सक्रिय रहने और सतर्क रहने तथा सकारात्मक रहने का है। हम सभी यह लड़ाई जीतेंगे और जीतेंगे। कोरोना काल के बाद आने वाली समस्याओं का भी अंत होगा ओर हमू सभी एक मजबूत समाज व राष्ट्र बनकर विश्व के सामने आयेंगे।
— मृत्युंजय दीक्षित