गीत/नवगीत

सबका अपना-अपना चिंतन

सबका अपना-अपना चिंतन, अपना-अपना राग है।
कोई शांति का बने पुजारी, कोई रक्त का फाग है।।

अपनी-अपनी ढपली सबकी, अपना-अपना राग।
कोई छल-कपट कर लूटे, कोई करता त्याग।
सीधे-सच्चे पथ पर, चलकर खोज रहा वो शांति,
दूजा दुनिया को, पाने को, करता भागम भाग।
विविधतामयी, विश्व ये देखो, पानी के संग आग है।
कोई शांति का बने पुजारी, कोई रक्त का फाग है।।

दाल-रोटी पाकर केवल, वह रहता कितना शांत?
ऐश्वर्य में सुख, ढूढ़ रहा है, दूजा कितना भ्रांत।
प्रगति पथ प्रशस्त कर, दिखाए सबको  राह,
दूजा विध्वंश का बन नायक, जग को करे अशांत।
पिज्जा बर्गर  को बिकती वह, इसको भाता साग है।
कोई शांति का बने पुजारी, कोई रक्त का फाग है।।

चकाचैंध, रंगीली दुनिया, नहीं होती यहाँ, रात।
जहाँ, प्रेम के नाम पर, बिकते हैं, हर पल गात।
एक सेवा के पथ पर बढ़, देता खुद को त्याग,
दूजा आसमान में उड़ता, करे न, धरणि से बात।
इधर देर तक, नींद न खुलती, उधर भोर ही जाग है।
कोई शांति का बने पुजारी, कोई रक्त का फाग है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)