कविता

ये है.. वो नहीं 

बुध्दि है पर सब्र नहीं
सब्र है पर श्रद्धा नहीं
श्रद्धा है पर होश नहीं
होश है तो जोश नहीं
जोश है ,हिम्मत नहीं
हिम्मत है मंज़िल नहीं
मंज़िल है,जुनून नहीं
जुनून है, ख़्वाब नहीं
ख़्वाब हैं,हुई भोर नहीं
भोर है,पर जागते नहीं
जागते हैं, भागते नहीं
भागते तो हैं,राह नहीं
राह है, हमसफर नहीं
हमसफर है,साथ नहीं
साथ है ,वो बात नहीं
बात है ,जज़्बात नहीं
जज़्बात हैं,फ़िकर नहीं
फ़िकर है,कदर नहीं
— आशीष शर्मा ‘अमृत ‘

आशीष शर्मा 'अमृत'

जयपुर, राजस्थान