पर्यावरण

आओ घर-घर ऑक्सीजन लगाएँ

आज चारों ओर अफरा-तफरी है , ऑक्सीजन की कमी  के कारण मौत का तांडव चल रहा है । हर इन्सान अपने शरीर के ऑक्सीजन स्तर की नियमित जाँच कर रहा है, कहीं कमी तो नहीं? यह दोषारोपण का वक्त नहीं बल्कि सबक लेने और संकल्प उठाने का वक्त है । बातें सिर्फ किस्से – कहानी और किताबी ज्ञान तक सीमित न होकर वास्तविकता में होना जरूरी है । कर्मों का फल ही वापस लौटकर आता है यह हम सभी जानते हैं, तो विचार क्यों नहीं करते कि आज कुछ ऐसे कर्म करें जिससे आने वाला कल सुरक्षित हो जाए । बच्चों को अब किताबी नहीं व्यवहारिक ज्ञान हर घर में अपने परिजनों से प्राप्त होना चाहिए जो है ‘बागवानी ‘ की शिक्षा । आइए संकल्प लें घर-घर में बगिया का स्थान बनाएँगे । इससे बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता कि आपका घर कितना बड़ा है या कितना छोटा । आपका इरादा कितना बड़ा है यह विचारणीय है । अब तो बस यह अनिवार्य हो कि पौधे तो लगाने हैं हर हाल में । पेड़ – पौधों को अपने परिवार का हिस्सा बनाइए, इनकी देखभाल कीजिए । इसी तरह आप प्रकृति माँ की सेवा कर सकते हैं अन्य कोई मार्ग नहीं ।
ध्यान रहे प्रकृति बरसों से हमें  प्राणवायु मुफ्त में देकर जीवनदान दे रही है, अरे माँ के प्रति अपना फर्ज भी तो निभाइए । अपने हिस्से का एक वृक्ष तो लगाइए इसके बिना प्रकृति माता के कर्ज से उऋण नहीं हुआ जा सकता है ।
बागवानी कोई कठिन काम नहीं बहुत आनंद देने वाली प्रक्रिया है । यह कार्य सभी को आना ही चाहिए । रंग – बिरंगे फूल लगे हों ,  लताएँ लगी हों  , क्यारियाँ सजी हों ,तो घर आँगन दमक उठेगा ।फूल जो मानसिक शांति देते हैं, मन को तरोताजा करके तनाव हर लेते हैं,खूबसूरत तितलियों को पास बुलाते हैं घर की सुंदरता बढ़ाते हैं सो अलग । सब्जियाँ लगा लीजिये खाली छत को हरा – भरा बनाने के साथ – साथ रासायनिक खाद मुक्त ताजी सब्जियाँ खाकर सेहत बनाइए । बस जरा सी मेहनत और अनगिनत लाभ यह तो वही बात हुई कि  ‘आम के आम गुठलियों के दाम ।’
इनडोर प्लांट्स तो जैसे आपके लिए नियमित ऑक्सीजन सिलिंडर का ही काम करते हैं । मनी प्लांट,  स्नेक प्लांट,  जेड प्लांट आदि को घर के अंदर स्थान दीजिए । इन्हें ड्राइंग रूम , बेड रूम , किचन , बाथरूम कहीं भी लगा सकते हैं । एक बार लाकर लगा दीजिए फिर  बहुत कम देखभाल में घर का कोना – कोना खिल  उठेगा। तो अब यह बहाना भी नहीं चलेगा कि घर पर न तो  छत है न धूप आती, अगर आप अपार्टमेंट में भी रहते हैं तो इनडोर प्लांट्स बहुत अच्छा विकल्प है । बस मन में दृढ संकल्प तो कीजिए ।
जिस तरह आप अपने बच्चों को अपने घर की परम्पराएँ, सिखाते हैं अच्छे संस्कार डालने का , उच्च शिक्षा देने का हर जतन करते हैं उसी प्रकार वृक्षारोपण का संस्कार भी आपको ही डालना है ।
हर आँगन में या बाल्कनी में हरियाली हो इसकी व्यवस्था उसी प्रकार कीजिए, जिस प्रकार हर घर में  पूजा – स्थल की कोई न कोई व्यवस्था होती ही है चाहे आप कोई भी धर्म के अनुयायी हैं । सनातन धर्म के अनुसार तो वृक्ष भी शिव का रूप हैं उन्हीं की तरह विषैली वायु स्वयं लेकर बदले में हमें अमृत जैसी प्राणवायु ऑक्सीजन देते हैं । पूरी श्रद्धा से बस जल चढ़ा दीजिये,खाद रूपि भोग लगाइए फिर देखिए इनकी कृपा कैसे बरसती है ।
इनपर होने वाले खर्च इनसे मिलने वाले लाभ के मुकाबले नगण्य है । रसोई से निकलने वाले व्यर्थ पदार्थो से खाद भी तैयार हो जाती है और रसोई से ही इनके लिए कीटनाशक भी मिल जाता है  यहाँ तक कि अपनी रसोई के सामानों से ही मुफ्त में बीज भी मिल जाते हैं । तो देर किस बात की ?  अपनी रचनात्मकता को आकार दीजिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण कीजिए । बच्चों को घर पर ही खूबसूरत प्लांटर बनाने को प्रेरित कीजिए जिससे उनमें उत्साह बढ़ेगा और समय का सदुपयोग भी होगा ।अपने मोहल्ले , सोसायटी या आसपास के खाली स्थानों को खूबसूरत और उपयोगी बनाइए हरियाली लाइए । तुलसी , एलोवेरा ,गिलोय तो साक्षात  वैद्य हैं जो हमारे उपचार  की कोई फीस भी नहीं लेते इनका सम्मान कीजिए । स्वयं प्रकृति की सेवा कीजिये और अपने नौनिहालों को भी इसका का पाठ पढ़ाइए । करके देखिए, अच्छा लगता है ।

— गायत्री बाजपेई शुक्ला

गायत्री बाजपेई शुक्ला

पति का नाम - सतीश कुमार शुक्ला पता - रायपुर, छत्तीसगढ शिक्षा - एम.ए. , बी एड. संप्रति - शिक्षिका (ब्राइटन इंटरनेशनल स्कूल रायपुर ) रूचि - लेखन और चित्रकला प्रकाशित रचना - साझा संकलन (काव्य ) अनंता, विविध समाचार-पत्रों में ई - पत्रिकाओं में लेख और कविता, समाजिक समस्या पर आधारित नुक्कड़ नाटकों की पटकथा लेखन एवं सफल संचालन किया गया । सम्मान - मारवाड़ी युवा मंच आस्था द्वारा कविता पाठ (मातृत्व दिवस ) हेतु विशेष पुरस्कार , " वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ "काव्य प्रतियोगिता में विजेता सम्मान, विश्व हिन्दू लेखिका परिषद् द्वारा सम्मानित आदि ।