एड्स रुकेगी जागरूकता से
कुँवारा हूँ,
प्रैक्टिकल से दूर हूँ।
जागरूकता ही
एड्स से बचने का-
है एकमात्र उपाय।
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पहली दिसंबर को
संसारभर में
‘एड्स दिवस’ के रूप में
मनाया जाता है।
यह एक खतरनाक सिंड्रोम है,
जो खुशी की वस्तु तो है नहीं,
जो कि हम
इसके लिए
शुभकामनाएँ
आदान-प्रदान करें !
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इसके बारे में जितना पढ़ा है,
किताबों में ही !
एक निपट
‘वर्जिनिटी’ लिए व्यक्ति
सिर्फ़ यही कह सकता है
कि जानकारी ही इसका इलाज़ है।
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चाहे जीवनसंगी हो या जीवनसंगिनी
या हो कोई सेक्स पार्टनर
सेक्स अथवा सहवास के लिए
प्रामाणिक ‘निरोध’ जरूरी है।
वहीं अप्राकृतिक यौनाचार
खतरनाक है।
और तो और….
इतर से सम्बन्ध व्यभिचार है,
बचिए ! बचाइये !
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शादी के लिए
उम्रदराज़ होना जरूरी है,
तो यथार्थ वैज्ञानिकी में
निहित होना जरूरी है।
आइये, मिलकर इसे
सामाजिक अभियान बनाएं !
जागरूकता अभियान चलाएँ !
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अपने बच्चों को
माता-पिता द्वारा
या अभिभावकों द्वारा
और हाईस्कूली
छात्र-छात्राओं को
शिक्षकों द्वारा
इस संबंध में
तालीम देना जरूरी है
कि जानकारी
और जागरूकता ही हमें
निज़ात दिला सकता है….
इस सिंड्रोम से !
इस वायरस से !
एचआइवी एड्स से !