बाल कविता

बाल गीत

हम बच्चे हैं मन के सच्चे
दुनिया को दिखलायेंगे
जल्दी – जल्दी पढेंगे मन से
आकाश को हम छू जाएंगे।

मेहनत करना, कभी न डरना
हम जग को बतलायेंगे
अपना नाम करेंगे रोशन
आगे बढ़ते जाएंगे।

घोर निराशा के हों बादल
तो बिजली बन छा जाएंगे
टूट पड़ेंगे पूरी दम से
बन इंद्र धनुष मुस्काएँगे।

हम सूरज सब अपने घर के
हम खुशियां बिखराएँगे ।
अगर कहेंगे मम्मी -पापा
हम चंदा ले आएंगे।

— अंशु प्रधान