कुण्डली/छंद

कहैं मलय कविराय

आज दिखाई ना पड़ी, सुंदर गोरी नार।
उर व्याकुल देखे बिना, नैना हैं लाचार।।
नैना हैं लाचार, सुख-चैन हृदय न पाये।
मीत मिले तो कहें, हृदय की पीर दिखायें।
कहैं मलय कविराय, जीवन शुभ सुंदर साज।
कल होगा सुखद अति, मनमीत मिले जब आज।।
गोरी नैनन बांटती, तन-गागर रस मीठ।
यौवन अम्बर चूमता, चंचल दर्पण दीठ।।
चंचल दर्पण दीठ, लख पिय उर उपज उछाह।
मन व्याकुल मिलन को, कब पीर मिटे तन-दाह।।
कहैं मलय कविराय, मन चैन परत न थोरी।
विरह-मिलन की रीत, न समझत मुग्धा गोरी।।
— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - pramodmalay123@gmail.com