बाल कहानी

कहानी – फल

सुबह के 9 बजे हिंदी अध्यापिका ने ऑनलाइन कक्षा में प्रवेश किया बच्चे जोश भरी आवाज़ में एकदम बोले – ” सुप्रभात अध्यापिका जी ! हम आपके पीरियड का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे क्योंकि आज आप हमे कहानी सुनाने वाली हो .”

अध्यापिका – “हाँ-हाँ बच्चों सुप्रभात ! चलो अब सबको मैं म्यूट कर रही हूँ . आप सब आराम से सीधे बैठ जाओ, क्या आप सभी ने स्कूल की तरह फ्रूट ब्रेक किया .”

सभी ने अपना हाथ ऊपर कर दिया .

“शाबाश ! तो चलो बच्चों आज मैं आपको प्रकृति माँ की कहानी सुनाने वाली हूँ . आप जानते हो हम सबकी तरह पेड़-पौधे,पशु-पक्षी,, नदी-तालाब, समुद्र-पहाड़ सभी इस सुंदर प्रकृति का अंग हैं . मनुष्य को भगवान ने सबसे ज़्यादा बुद्धिमान बनाया पर इंसान ने ईश्वर की दी हुई सारी शक्तियों का सदुपयोग कम दुरुपयोग ज़्यादा किया .

पता है बच्चों जिन ऊंची बिल्डिंगों में आप सब रहते हो, जिन बाज़ारों, शॉपिंग-मॉलों में आप ख़रीदारी करने जाते हैं या बड़े-बड़े फ़्लाइओवेरों या ब्रिज का इस्तेमाल करने से आप सबका जो समय बचता है, या जिस मोबाइल से हम विदेशों में भी अपने रिश्तेदारों से झटपट बात कर लेते हैं . न जाने क्या-क्या आविष्कार मनुष्य ने अपनी तीव्र बुद्धि से कर डाले . ऐसी-ऐसी चीज़ें बना डालीं अद्भुत जो आप सब रोज़ अपने घरों में इस्तेमाल भी करते हैं .

देखते ही देखते उसे इतना लालच हो गया बच्चों कि वह सब सीमाएं पार कर गया अपनी शक्तियों पर उसे बहुत अभिमान हो गया .”

बच्चों अब आप मुझे ये बताओ कि आपको मज़ा आ रहा है अपने #पर्यावरण के बारे में जानकर .”

सभी बच्चों ने एक साथ हाथ ऊपर किया और और जानने के लिए चेहरे के भावों से उत्सुकता जताई .

“आज हम सब अपने-अपने घरों से ऑनलाइन पढ़ने-पढ़ाने का काम कर रहे हैं . हम मजबूर हो गए हैं घर में रहने को जैसे कोई कैद हो .सभी चीन देश से आए #कोरोना वायरस को ही दोष दे रहे हैं .”

तभी एक बच्चा हाथ ऊपर करता है . ” रमन मैं तुम्हें अनम्यूट करती हूँ, बोलो बेटा !

” मैम कोरोना वायरस से ही तो सब घरों में बंद हैं . माँ कहती है बार-बार हाथ धो, बाहर नहीं जाना, मगर सच में अपनी बालकनी से बाहर देखता हूँ तो ताज़ी हवा आती है, पक्षी उड़ते दिखते हैं . इन सबको कोरोना वायरस परेशान नहीं करता .”

“तुमने सही कहा रमन पक्षी उड़ रहे हैं, हवा स्वच्छ है क्योंकि इन सबने तो माँ प्रकृति को परेशान नहीं किया पर मनुष्य ने किया .जंगल काटे, समुद्र को धकेला, टॉवर बनाए, पहाड़ों का सीना काट-काट नए-नए रास्ते बनाए गए,नदियों में कचरा फेंका,प्लास्टिक की थैली खा-खा कर जानवर खत्म हुए . दिन-रात गाड़ी दौड़ाते हुए लोग सड़कों पर भूल गए कि वो क्या गलत कर रहे हैं .अपनी गलतियों से नई-नई बीमारियां पैदा की और क्या-क्या बताऊँ बेटा ! ऊपरवाले ने मनुष्य को उसके बुरे कर्मों का #फल दिया है .”

अध्यापिका बच्चों को अनम्यूट करती हैं और कहती हैं – “बच्चों खाने वाला फल नहीं .” सभी छात्र ज़ोर से हँसते हैं .

“अच्छे-बुरे काम करने से जैसे मम्मी-पापा, अध्यापिका आपको प्यार करते और डांटते-समझाते हैं ऐसे ही प्रकृति माँ ने उसके #पर्यावरण से छेड़छाड़ करने वाले इन मनुष्यों को उनके बुरे कर्मों का फल दिया है .” तो आप सबको ये कहानी कैसी लगी ?

“मैम बहुत ही अच्छी और हमने बहुत कुछ सीखा आज .” सभी छात्र एक दृढ़-संकल्प के साथ बोलते हुए मुस्कुरा देते हैं, तभी चालीस मिनिट की समय-सीमा के साथ ऑनलाइन कक्षा समाप्त हो जाती है .

— भावना अरोड़ा ‘मिलन’

भावना अरोड़ा ‘मिलन’

अध्यापिका,लेखिका एवं विचारक निवास- कालकाजी, नई दिल्ली प्रकाशन - * १७ साँझा संग्रह (विविध समाज सुधारक विषय ) * १ एकल पुस्तक काव्य संग्रह ( रोशनी ) २ लघुकथा संग्रह (प्रकाशनाधीन ) भारत के दिल्ली, एम॰पी,॰ उ॰प्र०,पश्चिम बंगाल, आदि कई राज्यों से समाचार पत्रों एवं मेगजिन में समसामयिक लेखों का प्रकाशन जारी ।