भजन/भावगीत

कान्हा

मैं बाट जोऊ थारी |
तू आजा मारो सांवरियो ||

ये संसार सारो झूठों |
बस तू ही सच्चा कानूडो ||

तू द्रोपदी री लाज रखे |
ने दुखिया रो साथ निभावे ||

तू रक्षा करें प्रहलाद री  प्रहलाद |
ने नरसिंह रो अवतार धारे ||

तू गोपियाँ संग रास रचावे |
ने मटकी तोड़े माखन चुरावे ||

तू गोवर्धन उंगली पर उठावे |
ने कालिया नाग पर नृत्य रचावे ||

थारी एक छवि ने तरसती |
आ मीरा सारो जीवन बितावे ||

तु सारथी भी बने अर्जुन रो |
ने रणभूमि में गीता ज्ञान सुनावे ||

तू छलिया ती मोठो छलिया |
ने संयम री मोठी वाणी ||

हे कान्हा तू सबको भाये |
लीला थारी ही अमर कहलाए ||

केवल तेरी ही रचना से से |
यह सारा जग टिमटिमाये ||

— रमिला राजपुरोहित

रमिला राजपुरोहित

रमीला कन्हैयालाल राजपुरोहित बी.ए. छात्रा उम्र-22 गोवा