कविता

नहीं रखते माँ-बाप का ध्यान

माँ बच्चे को कोख में रख
कितने दुख है सहती ।
और जन्म होने पर
कितना सुख है पाती ।
अपने स्तन से
दूध पिलाती
पोषण करती
शौच होने पर
उसको साफ़ है करती
बिस्तर गीला हो तो
उस पर स्वयं है सोती
और कितना ख़याल है रखती
कष्ट कुछ होने ना देती
सारा कष्टख़ुद ही है सहती1
पति-पत्नी मिलके
पालन- पोषण करते
बच्चा बड़ा होने पर
जब जवान हो जाता
विवाहित होता सम़ृद्ध हो जाता
तब बूढ़े माँ -बाप का
ध्यान ना रखता ।
क्यों नहीं सोचता बच्चा ?,
माँ – बाप ने उस का
पालन- पोषण करके बड़ा किया
और कितने कष्ट हैं झेले।
फिर भी बच्चा समझ ना पाता।
और माँ -बाप का ध्यान ना रखता

— डा केवलकृष्ण पाठक

डॉ. केवल कृष्ण पाठक

जन्म तिथि 12 जुलाई 1935 मातृभाषा - पंजाबी सम्पादक रवीन्द्र ज्योति मासिक 343/19, आनन्द निवास, गीता कालोनी, जीन्द (हरियाणा) 126102 मो. 09416389481