बालोपयोगी लेख

निबंध लेखन : एक कला

किसी विषय का पूर्ण किन्तु संक्षिप्त और सरल परिचय देना ही निबंध लेखन की सबसे बड़ी विशेषता है|

निबंध शब्द ‘बंध’ शब्द के  पहले   ‘नि’ उपसर्ग लगने से बना है जिसका अर्थ होता है अच्छी तरह बाँधना – “सुबंधन” | यह कार्य तभी अच्छी तरह से पूरा होता है जब लेखक को विषय की पूरी जानकारी हो, उसे सुंदर और सरल भाषा में कहा गया हो तथा विषय के प्रत्येक अंग पर आवश्यक प्रकाश डाला गया हो | गम्भीर से गम्भीर विषय भी यदि सरल वाक्यों में रोचक ढ़ंग से समझाया जाय तो समझ में आ जाता है| अँग्रेजी भाषा में निबंध के लिये Eassy शब्द का प्रयोग होता है जिसका अर्थ है “प्रयत्न करना”|

आरम्भिक कक्षाओं में जब हमारा बोध विकसित  नहीं होता तो शिक्षक कुछ सूत्र बतलाकर हमें निबंध लेखन से अभिज्ञ बनाता है | यह प्रयास कुछ वैसा ही होता है जैसे उँगली के सहारे बालको को चलाना सीखाया जाता है | इसी प्रकार प्रारम्भ में चाहे जिस किसी  विषय  पर निबंध लिखना हो , उस विषय को  ‘’परिचय’’ ‘’आकार–प्रकार’’ ‘’लाभ’ ‘’हानि’’ तथा ‘’उपसन्हार’’ जैसे पाँच बिंदुओं में बाँध देना होता है

निबंध को प्रभाव पूर्ण और आकर्षक बनाने के लिये निम्न बातों का ध्यान रखना  अत्यंत आवश्यक है |

  • वाक्य सरल भाषा में हो और छोटे छोटे हो|
  • ऐसे शब्दों का प्रयोग न किया जाये जो साधारण बोलचाल की भाषा से दूर हो| व्यर्थ का शब्दजाल विषय को कठिन बना देता है | जिन शब्दों के प्रयोग का अच्छा अभ्यास हो उन्हे ही प्रयोग करना चाहिये|
  • हिंदी, उर्दू, अँग्रेजी आदि विभिन्न भाषाओं के शब्दो की खिचड़ी बना देने पर स्वाभिकता नष्ट हो जाती है इससे बचना चाहिये|
  • जहाँ कहीं उदाहरण दिया जाये , उन्हें संक्षेप में लिखे| उदाहरणों की भरमार अच्छी नहीं होती |
  • यथासम्भव मुहावरों और कहावतों का प्रयोग भाषा को सुंदर तथा विषय को आकर्षक बना देता है |
  • भूमिका से लेकर उपसन्हार तक प्रत्येक बात निश्चित क्रम में कही जाय | ऐसा नहीं होना चाहिये कि विषय का सामान्य परिचय दिये जाने के पहले ही उसके लाभ हानि की चर्चा शुरू कर दी जाय|
  • निबंध छोटे छोटे अनुच्छेदों में लिखा जाना चाहिये| जैसे किसी महापूरुष पर निबंध लिखना हो तो उनके बाल्यकाल की जानकारी देते समय उसी अनुच्छेद में उनके युवावस्था और वृद्धावस्था की चर्चा नहीं करनी चाहिये | प्रत्येक के लिये एक एक अनुच्छेद होना चाहिये|
  • निबंध में कोई भी बात बार बार दुहरानी नहीं चाहिये| बातों का सिलसिला उलटा सीधा न करके , पहले की बात पहले , और बाद की बात बाद में करनी चाहिये| यानि ये कह सकते है कि निबंध के किसी भी अंग को विस्तार से बचाने की कोशिश की जानी चाहिये|
  • सबसे आवश्यक बात है अध्ययन और अभ्यास | विषय का पूरी तरह से अध्ययन करने के पश्चात ही आप विषय के बारे में पूरी जानकारी दे सकेंगे| अभ्यास करते रहने से लेख प्रभावशाली होते है, भाषा मँजती है, और शैली स्वभाविक और रोचक बनती है |
  • प्रत्येक निबंधो पर एक ही तरह की शैली न अपनाई जाये इसलिये निबंधो की कई कोटियाँ निर्धारित की गई है –
  • विचारात्मक- अनुशासन , देशभक्ति, राष्ट्र भाषा
  • विवरणात्मक- गाय , रेलगाड़ी, हाट. ग्रामपंचायत
  • भावात्मक- एक प्याली चाय, एक भिखारी की आत्मकथा,संगति, मित्रता

सबसे मुख्य और अह्म बात —-

किसी लिखे हुए निबंध को रट्टा मारकर लिखने से बेहतर है उसकी मुख्य मुख्य बातों को अच्छी अरह से समझ कर अपनी भाषा में लिखना चाहिये|

—  नसरीन अली “निधि”

नसरीन अली 'निधि'

1. पिता : बृजपाल दास पारिख 2. जन्म: 10 नवम्बर 1969 3. जन्म स्थान: कलकत्ता 4. शिक्षा: स्नातक ( कला ) कलकत्ता विश्वविद्धालय 5. भाषा ज्ञान: हिंदी, अंग्रजी, उर्दू, पंजाबी, बंगाली, गुजराती एवं कश्मीरी 6. नागरीकता: भारतीय परिचय: कलकत्ता विश्वविद्धालय से शिक्षित, संस्कृति से गुजराती , जड़ से गुजरात एवं बनारस से जुड़ी , पिछले 22 सालों से अपनी कर्मभूमि कश्मीर श्रीनगर में समाज सेविका का जीवन बिता रही सुश्री नसरीन अली “निधि” ( कवियत्री एवं लेखिका ) का जीवन हिंदी भाषा एवं हस्त कला को समर्पित हैं| अनुभव;-  22 सालों से रेडियो कश्मीर श्रीनगर में हिंदी एवं उर्दू भाषाओं में कार्यकम करने का अनुभव...  पिछले 10 सालों से रेडियो कश्मीर श्रीनगर के हिंदी विभाग में कम्प्युटर आँपरेटर के पद पर आसीन..  पिछले 5 सालों से इसी कार्यालय के पंजाबी विभाग के कार्यक्रमों की साउंड इनजीनियर के रुप में कार्यरत...  दो सालों का कश्मीर घाटी के एक निजी टेलिविजन “ वादी टेलिविजन “ में हस्त कला एवं पाक कला में कार्यक्रम देने का अनुभव हस्त कला के क्षेत्र में एक सफल प्रशिक्षिका के रुप में कार्य करने का अनुभव  मातृ मेहरबान वोमेंस एंड चाइल्ड डेवलपमेंट वेलफेयर इनस्टीयूट , मिसकीन बाग, श्रीनगर  आनगंवाडी ट्रेनिग सेंटर , मिसकीन बाग...श्रीनगर  गवर्मेंट पाँलिटैक्निक फाँर वोमेंस , बीमना श्रीनगर  SKAUST-K Division of Floriculture , Medicine and Aromatic plants Srinagar …  Jammu & Kashmir Entrepreneurship Development Institute ( J&K EDI) विशेष :  “वादीज़ हिंदी शिक्षा समिति” श्रीनगर ( रजि.) की अध्यक्ष महोदया एक स्वैछिक संस्था (N G O ) जो हिंदी के विकास, प्रचार- प्रसार , उन्नति के लिए कार्यरत......  नसरीना क्लासिक्स प्राइवेट लि. (रजि.) (को ओपरेटिव सोसायटि) की अध्यक्ष महोदया एक ऐसा यूनिट जहाँ हस्त एवं पाक कला की शिक्षा के साथ साथ हस्त शिल्प कलाओं का उत्पादन कर, बेरोजगार एवं अनपढ़ महिलाओं को रोजगार देने का अभियान चालाया जाता हैं.......  मातृ भाषा उन्नयन परिषद इंदौर ( रजि.) संस्था की श्रीनगर क्षेत्र की प्रदेश अध्यक्ष महोदया सम्मान : रेडीयो कश्मीर श्रीनगर द्वारा एक सफल कवियत्री ,श्रीनगर दूरदर्शन केंद्र द्वारा एक सफल हिंदी उद्घोषक के रुप मे , कई स्वैछिक संस्थानों द्वारा सम्मानित पर विशेष सम्मान हिंदी के प्रचार –प्रसार एवं उन्नति के कार्य के लिए जम्मू और काश्मीर के महाराजा डाँ करण सिहं द्वारा दिया गया “साहित्य भूषण सम्मान “ भ्रमण भाष: + 91- 9906591662, 7006692361, 9419624129, अणुडाक: wadieshindishikshasamiti@gmail.com अणुडाक : http//www.wadieshindi.com/wp-admin/ पता:- नसरीन अली ,चिंक्राल मोहल्ला, हब्बा कदल , श्रीनगर जम्मू और काश्मीर,