बाल कविता

हम स्कूल चलेंगे

हम बच्चे फिर स्कूल चलेंगे।

उम्मीदें नव झूल चलेंगे।
मीत बनेंगे प्यारे-प्यारे,
हस्ते- गाते रोज़ मिलेंगे ।

खेलेंगे हम खूब पढ़ेंगे ।
जीवन अपना स्वयं गढ़ेंगे।
हारे हैं न कभी हारेंगे,
विजयी बनकर ही निखरेंगे।।

हम देश का भविष्य बनेंगे।
ये साबित कर दिखलाएँगे।
धीर, वीर, तकदीर बनेंगे ,
सरहद पर शमशीर बनेंगे।।

हम कलाम, आज़ाद बनेंगे।
जग में अपना नाम करेंगे।
मम्मी मेरा नाम लिखा दो ,
हम अब रोज स्कूल चलेंगे।।

— आसिया फ़ारूक़ी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र