कविता

कल नहीं आयेगा

अब तो इस भ्रम से
बाहर निकलिए,
कि कल भी आयेगा
ये ख्वाब मत पालिए।
आज ही आज रहेगा
सदा वर्तमान रहेगा,
जो कल का इंतज़ार करेगा
वो बहुत पछताएगा।
अपना आज भी गँवाएगा,
फिर बहुत पछताएगा,
मगर हाथ कुछ नहीं आयेगा,
सदा सर्वदा आज ही आज
बस नजर आयेगा,
कल का इंतजार
बस दिवास्वप्न है,
कल भी आयेगा
ये किसी के वश में कहाँ है?
बस आज ही आज नजर आयेगा
क्योंकि कल कभी नहीं आयेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921