कविता

भ्रमित होने के लिए

जन्माष्टमी हर साल आती है
एक दिन के लिए
कुछ लोगों को भरमाती है,
फिर चली जाती है
अगले साल आने के लिए
कुछ नये लोगों को
भरमाने लिए मगर फिर
खुद भ्रमित होकर
फिर चली जाती है
एक साल बाद
फिर आने के लिए
भ्रमित होने के लिए ।
जन मन में उत्साह जगाने के लिए
विश्वास का नया
दीपक जगाने के लिए।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921