पुस्तक समीक्षा

रामायण की चाभी और…. !

‘रामायण’ क्या सही है ? हमेशा यह बहस के केंद्र में रहा !
इतिहास और कल्पना क्या साथ-साथ चल रही है ? आस्तिकता और नास्तिकता साथ-साथ चल रही है !

कई-कई रामायणों से निचोड़ निकालकर महान दार्शनिक व समाजशास्त्री ‘पेरियार’ ई. व्ही. रामास्वामी नायकर ने “सच्ची रामायण” नामक पुस्तक लिखी, जिनकी हिंदी में अनुवाद श्री जुगल किशोर ने किया है, जिसे मैं इन दिनों पढ़ रहा हूँ। श्रीमान पेरियार ने इसपर आस्था से परे कल्पनाप्रसूत व अघट्य -कथा हेतु अनेकानेक तर्क दिए हैं । “सच्ची रामायण” को समझने के लिए श्री ललई सिंह यादव की पुस्तक “सच्ची रामायण की चाभी” भी अनोखी पुस्तक है । अगर किसी को ‘सच्ची रामायण’ क्लिष्ट व बंद ताला लग रही है, तो इस ताला की ताली (चाभी) यानी इसे पढ़ने के लिए “सच्ची रामायण की चाभी” भी अनिवार्यरूपेण साथ-साथ पढ़नी चाहिए । मैं भी ऐसा ही कर रहा हूँ।

प्रत्येक बुद्धिजीवी को ये पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए, क्योंकि नास्तिक-विचार ‘तर्कशक्ति’ को बढ़ाता है।

इधर कई तुलनात्मक पुस्तकें साथ-साथ पढ़ रहा हूँ। श्री एस. एस. गौतम सम्पादित पुस्तक “क्या डॉ. अम्बेडकर की हत्या हुई?” (प्रकाशक : सिद्धार्थ बुक्स, दिल्ली) और श्री अरुण शोरी की पुस्तक “अम्बेडकर झूठे भगवान” (मूलतः अंग्रेजी में) के विरुद्ध छपी पुस्तिका “शोरी का शोर : अम्बेडकर झूठे भगवान नहीं” (लेखक-द्वय : श्री एल. आर. बाली & श्री आनंद स्वरूप / प्रकाशक : सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली)

“क्या डॉ. अम्बेडकर की हत्या हुई?” नामक पुस्तक में बाबा साहब की द्वितीय पत्नी श्रीमती सविता कबीर, जो ब्राह्मणी थी— के इर्दगिर्द ही डॉ. अम्बेडकर के संदेहास्पद निधन को लेकर अँगुली उठी है !

वहीं पुस्तिका “शोरी का शोर : अम्बेडकर झूठे भगवान नहीं” में हठी पत्रकार रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अरुण शोरी के बेकार शोर के विरुद्ध करारा तमाचा जड़ा गया है ! डॉ. अम्बेडकर ‘गद्दार’ नहीं थे, इसे सुतर्क व प्रामाणिकता आधार लिए ठोस तथ्य प्रस्तुत किया गया है तथा ‘शोरी’ ही राष्ट्रभक्त नहीं है, इसे साबित किया गया है! सभी भारतीयों को इन पुस्तकों पढ़ना चाहिए।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.