भजन/भावगीत

गिरिजा के ललन

हर काज में होवे तुम्हरा मनन ,
शंकर के सुत गिरिजा के ललन।
तुम्हरे सुमिरन टल जाए विघन ,
शंकर के सुत गिरिजा के ललन।
जो तुम्हें पुकारें गज आनन,
रिद्धि सिद्धि से भरदें दामन,
हर लेते सारे दुःख चिंतन ।
शंकर के सुत गिरिजा के ललन।
पितु मात को माना जग से बड़ा,
जग हांथ जोड़ के झुका खड़ा,
सब करने लगे प्रथम पूजन ।
शंकर के सुत गिरिजा के ललन।
बल बुद्धि विवेक से तुम हो भरे,
पल में असुरों का नाश करें ,
घर घर में गूंजे तुम्हरे भजन।
शंकर के सुत गिरिजा के ललन।
— पुष्पा अवस्थी “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है