लघुकथा

तीसरा हाथ

रोज रोज की कलह से उकता चुकी थी नीरू। सास के तानों से उसके कान पकने लगे थे। हर झार मंगरैले पर की तर्ज पर किसी भी बात को वह नीरू को बदजात कह उसकी ओर ठेल देती थी। अपने बेटे की मौत का कारण भी नीरू को ही मानते हुए कहती रहती थी कि इसके यारों के कारण ही मेरे लाल ने आत्महत्या की है।

जेठ भी ताने मारने से नहीं चूकते कि वह उनकी कमाई पर ही अपने बच्चों के साथ इस घर में पल रही है।

कई बार नौकरी का फार्म भर चुकी थी।  लेकिन घर से  बाहर पैर निकालना आसान न था। परेशान होकर आज दो साल बाद नौकरी के लिए घर से बाहर कदम निकाले थे। बाहर को निकले थरथराते कदम जब घर वापस लौटे तो जॉइनिंग लेटर के साथ।

सास ने जली कटी सुनानी शुरू की – “मैं कहती थी न कि इसके कई आशिक हैं, नौकरी मिलने में उन्हीं आशिको का हाथ होगा!”

“जी मम्मी जी, हाथ तो है..। पहला हाथ मेरी शिक्षा का, दूसरा हाथ मेरे आत्मविश्वास का और तीसरा…!”

“तीसरा तेरे यार का..! ये दिन देखेने से पहले मैं मर क्यों नहीं गयी..!”

“तीसरा हाथ है आप सबके आशीर्वाद का, आप सब रोज रोज मुझे भला बुरा नहीं कहते तो मेरे अंदर का हुनर कैसे जागता! मेरी नौकरी लगने में सबसे बड़ा योगदान तो आप लोगों का ही है, वरना आप और भाभी की तरह मैं भी ..!”

— सविता मिश्रा ‘अक्षजा’

*सविता मिश्रा

श्रीमती हीरा देवी और पिता श्री शेषमणि तिवारी की चार बेटो में अकेली बिटिया हैं हम | पिता की पुलिस की नौकरी के कारन बंजारों की तरह भटकना पड़ा | अंत में इलाहाबाद में स्थायी निवास बना | अब वर्तमान में आगरा में अपना पड़ाव हैं क्योकि पति देवेन्द्र नाथ मिश्र भी उसी विभाग से सम्बध्द हैं | हम साधारण गृहणी हैं जो मन में भाव घुमड़ते है उन्हें कलम बद्द्ध कर लेते है| क्योकि वह विचार जब तक बोले, लिखे ना दिमाग में उथलपुथल मचाते रहते हैं | बस कह लीजिये लिखना हमारा शौक है| जहाँ तक याद है कक्षा ६-७ से लिखना आरम्भ हुआ ...पर शादी के बाद पति के कहने पर सारे ढूढ कर एक डायरी में लिखे | बीच में दस साल लगभग लिखना छोड़ भी दिए थे क्योकि बच्चे और पति में ही समय खो सा गया था | पहली कविता पति जहाँ नौकरी करते थे वहीं की पत्रिका में छपी| छपने पर लगा सच में कलम चलती है तो थोड़ा और लिखने के प्रति सचेत हो गये थे| दूबारा लेखनी पकड़ने में सबसे बड़ा योगदान फेसबुक का हैं| फिर यहाँ कई पत्रिका -बेब पत्रिका अंजुम, करुणावती, युवा सुघोष, इण्डिया हेल्पलाइन, मनमीत, रचनाकार और अवधि समाचार में छपा....|