कविता

शिक्षक दिवस

गुरु चरणों में किया समर्पण, त्रेता में श्रीराम ने

गुरु चरणों की रज माथे पर,रखी थी श्रीघनश्याम ने

देव और नृप के सिंहासन से, उच्च गुरु स्थान है

मात-पिता से बढ़कर गुरुवर, का आदर सम्मान है

जिनकी चरण वंदना करके, हर कोई बना महान है

ऐसे शिक्षक,गुरु के चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम है

महान दार्शनिक, शिक्षाविद ने शिक्षक धर्म निभाये थे

प्रथम शिक्षक, तत्पश्चात वो राष्ट्रपति कहलाए थे

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने, पृथ्वी पर अवतार लिया

शिक्षक बनकर इस महापुरुष ने, वसुधा का उद्धार किया

निज विवेक, बुद्धिमत्ता से, शिक्षा रोचक कर जाते हैं

5 सितंबर वर्षगांठ को, शिक्षक दिवस मनाते हैं।

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश