बाल कहानी

गुलाब के पांच बाल गीत-

रोज डे 22 सितंबर पर विशेष
1. कांटों में हंसना सीखो
हम गुलाब हैं, खुश दिखते हैं,
पर कांटों में रहते हैं।
कांटों में हंसना सीखो,
हंस-हंस सबको कहते हैं॥
राजा की पदवी पाकर भी,
हम विनम्र रहना चाहें।
जिससे जग के राजा के दर,
शान-मान से जा पाएं॥

2. ‘रोज डे’

मैं गुलाब हूं, खुश दिखता हूं,
पर कांटों में रहता हूं।
इन कांटों की चुभन कंटीली,
सहकर भी नित हंसता हूं॥
सिखलाता ‘रोज डे’ सपनीला,
महको और महकाओ।
कांटों-कष्टों से क्या डरना,
सपनों को सहलाओ॥

3. अजब हमारा जीवन है

पवन-हिंडोला, शर की शैय्या,
अजब हमारा जीवन है।
खुशबू-सुंदरता के पुजारी,
कोमल अपना तन-मन है॥
सब पूछें हम कितने सुखी हैं,
हम सुख ढूंढते रहते हैं।
कांटों वाली डाली पर भी,
हरदम हंसते रहते हैं॥

4. कांटों बिन जीना क्या जीना!

हम सुमनों की अजब कहानी,
क्षणभंगुर है अपनी जवानी।
भंवरे खुशबू ले जाते हैं,
पत्ते झड़ें जब गिरता पानी॥
कांटों में रहकर लगता है,
अपने घर में रहते हैं।
कांटों बिन जीना क्या जीना!
अपने आपसे कहते हैं॥

5. गुलाब

मैं गुलाब हूं, प्यारा हूं,
सबकी आंख का तारा हूं।
लाल-गुलाबी-नीले-पीले,
ढेरों रंगों वाला हूं॥
कहलाता फूलों का राजा,
फिर भी नहीं इतराता हूं।
कांटों में रहकर भी खिलखिल,
हंसता और हंसाता हूं॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244