राजनीति

प्रधानमंत्री मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा में ऐतिहासिक संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड की महामारी और अफगान संकट के बाद पहली बार अमेरिका की यात्रा की और अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को चौथी बार संबोधित करते हुए अंतरर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय महत्व के कई विषयों पर अपने विचारों को स्पष्ट कर दिया। पीएम मोदी के भाषण से यह साफ हो गया है कि अफगानिस्तान में भारत व उसके मित्र राष्ट्र फिलहाल तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देने जा रहे हैं। हर प्रकार के आतंकवाद पर भारत सरकार का मजबूत व स्पष्ट विचार है कि जो लोग आज आतंकवाद को टूल के रूप में प्रयोग कर रहे हैं यह आतंकवाद उन्हीं देशों के लिए भी सबसे अधिक खतरा है। उनके भाषण से पाकिस्तान व विस्तारवादी चीन को सीधा संकेत दिया गया है और संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भी संदेश दिया गया है कि उसे भी अब और अधिक प्रासंगिक बनना ही होगा। पीएम मोदी ने साफ कहा कि जो लोग समय के साथ काम नहीं करते फिर समय ही उस काम की सफलता को समाप्त कर देता है।
पीएम मोदी ने अपने बीस मिनट के भाषण में एक बार फिर अपने जीवन के शुरूआती दौर में पिता के साथ चाय बेचने का उल्लेख किया और अपने बीस वर्षों की राजनैतिक यात्रा का विवरण भी संक्षेप में दे दिया। पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में चौथी बार भाषण दिया और इस बार उनके भाषण पर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई थीं। पूरा विश्व यह जानना चाहता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफगान समस्या तालिबान, आतंकवाद और चीनी विस्तारवाद पर कैसे प्रहार करने वाले हैं। प्रधानमंत्री ने अपने ऐतिहासिक भाषण में पहली बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर पंंडित दीन दयाल उपाध्याय को याद किया और महान कूटनीतिज्ञ अर्थशास्त्री चाणक्य को भी याद किया। पीएम मोदी ने अपना संबोधन गुरूदेव रवींद्र नाथ टैगोर के शब्दों के माध्यम से सामप्त करते हुए कहा कि अपना शुभ कर्मपथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो, सभी दुर्बलताएं और शंकाएं समाप्त हों। यह संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्र्रासंगिक है, उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए भी प्रासंगिक है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारत में गरीबों को देश की मुख्य धारा में लाने के लिए चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी और बताया कि ये योजनायें किस प्रकार से देश के सामाजिक वातावरण व राजनैतिक जीवन में बदलाव ला रही हैं। उन्होंने जन धन योजना से लेकर हर घर नल से जल योजना का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि आज देश में 43 करोड़ से अधिक लोगों का बैंकों में एकाउंट खुुल चुका है। ये वे लोग हैं जिन्हें यह भी नहीं पता था कि बैंकों में किस प्रकार से एकाउंट खोला जाता है। आज इस योजना से समाज में बड़ा बदलाव आ रहा है। देश में अब तक तीन करोड़ गरीब लोगों को अपना आवास मिल चुका है। कोविड महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत को डीएनए आधारित वैक्सीन बनाने में सफलता मिल चुकी है। प्रधानमंत्री ने बताया कि विश्व की संस्थाओं ने माना कि किसी भी देश के विकास के लिए वहां के नागरिकों के पास जमीन और घर के प्रापर्टी अधिकार होना जरूरी है। आज हम भारत के छह लाख से अधिक गांवों में ड्रोन से मैपिंग कराकर करोडा़ें लोगों को उनके घर और जमीन का डिजिटल रिकार्ड देने में जुटे हैं। यह डिजिटल रिकार्ड प्रापर्टी पर विवाद कम करने के साथ-साथ बैंक लोन तक लोगों की पहुंच बढ़ा रहा है।
एक प्रकार से पीएम नरेद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारत के अंदर चल रही बदलाव और विकास की नयी यात्रा पर विस्तार के साथ चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत ऐसे 75 सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजने वाला है जो भारतीय विद्यार्थी स्कूल कालेजों में बना रहे हैं। आतंकवाद पर एक बार फिर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जो देश आतंकवाद का राजनैतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। उन्होंने समुद्री संपदा का उल्लेख करते हुए चीन पर सीधा हमला बोला। समुद्री सुरक्षा के विषय पर बोलते हुए उन्होंने आचार्य चाणक्य का उल्लेख करते हुए कहा कि जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज मानव जीवन में तकनीक का बहुत अधिक महत्व है, लेकिन बदलते विश्व में तकनीक आफ डेमोक्रेटिव वैल्यू को सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
प्रधानमंत्री का यह भाषण कई मायने में ऐतिहासिक रहा। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय को याद किया, उन्होेंने आचार्य चाणक्य का उल्लेख किया और रवींद्र्र नाथ टैगोर का भी उल्लेख करते हुए भारत की महानता का दर्शन कराया। उन्होंने हिंदी भाषा में भाषण करके उसका भी मान बढ़ा दिया है।
प्रधानमंत्री के भाषण से यह साफ हो गया है कि अफगानिस्तान में फिलहाल तालिबान की सरकार को कोई मान्यता नहीं मिलने जा रही है। उन्हाने कहा कि अब यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि अफगान धरती का प्रयोग आतंकवाद को फैलाने और आतंकी हमलों के लिए न हो। हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि कोई देश वहां की नाजुक परिस्थितियों का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए एक टूल की तरह करने की कोशिश न करे।
पूरी दुनिया की पीएम मोदी के भाषण पर गहरी नजर थी कि वह अफगान पर क्या बोलते हैं अब यह तय हो गया है कि पाकिंस्तान, चीन व रूस को छोडकर पूरी दुनिया अफगान नीति पर वही रणनीति अपनाने जा रही है जिसे पीएम मोदी ने बता दिया है और अब साथ ही पाकिस्तान जैसे देशों पर जो आतंकवाद का समर्थन व सहयोग कर रहे हैं और जिसके कारण अफगानिस्तान में तालिबान राज की वापसी हुई है तथा अमेरिका जैसी महान ताकत को नीचा देखना पड़ा है। अब पूरा विश्व पाकिस्तान को सजा देने की तैयारी कर रहा है और अमेरिका में इस पर विचार भी किया जा रहा है। आने वाले समय में आतंकवााद का पोषण करने वाले देशों पर कड़ी कार्यवाही हो सकती है और उन पर कड़े प्रतिबंध भी लगाये जा सकते हैं तथा उन्हें आतंकवादी देश भी घोषित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का वैश्विक रंगमंच पर गहरा प्रभाव पड़ने वाला है।
— मृत्युंजय दीक्षित