कविता

गुलाब का फूल

गुलाब खिलता है
काँटों के बीच,
न कोई शिकवा
न ही शिकायत,
नियत का खेल मान
मुस्कान बिखेरता
अपना स्वभाव कभी नहीं छोड़ता।
विपरीत स्वभाव के काँटो के बीच
रहकर भी खिलना नहीं छोड़ता
काँटों से ईर्ष्या द्वेष नहीं रखता
हम सबको सामंजस्य बिठाकर
निश्चिंतता से जीने का
सदा संदेश भी देता,
खुद का उदाहरण सामने रख
खिलखिलाता, मुस्कराता
हर पल मस्त रहता
अपना जीवन जीता
गुलाब का फूल।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921