कविता

पर्व और त्योहार

आए पर्व और त्योहार
 लाये उमंग उल्लास
चुन्नू मुन्नू हो या दद्दू
मैया हो या बहना
सबके मन को भाए
यह पर्व और त्यौहार
तीज और त्यौहार
आया तीज का त्यौहार
पड़ती बरखा फुहार
 झूले अमवा की डाल
रचते मेहंदी वाले हाथ
 सजती वीरा की कलाई
छलके भाई बहन का प्यार
 आया ईद का त्यौहार
लाया स्नेह मिलन बहार
आयेजब होली का त्यौहार
बहती रंगों की रसधार
चुन्नू मुन्नू का हुड़दंग
 दद्दू गाये फगवा राग
बहना पूजती गणगोर
मांगे ईश्वर से भरतार
आया दीपों का त्यौहार
 हर्षित दुनिया सारी
सजती द्वार द्वार रंगोली
जग मग दीपों की कतार
 रोशन होता है संसार
माता लक्ष्मी का अवतार
पूजे सारा संसार
 छूटे फुलझड़ियां हजार
 महके  पकवानों से
 घर द्वार
पर्व और त्योहार
लाए उमंग उल्लास
 घोले जीवन में मिठास
करते एक रस्ता को दूर
सोचो यदि ना होती त्यौहार
ना कोई उमंग उल्लास
ऊबा ऊबा सा इंसान
लाये उमंग उल्लास
ये पर्व और त्योहार यह
तीज और त्यौहार
— गीता पुरोहित 

गीता पुरोहित

शिक्षा - हिंदी में एम् ए. तथा पत्रकारिता में डिप्लोमा. सूचना एवं पब्लिक रिलेशन ऑफिस से अवकाशप्राप्त,