बाल कविता

सूरज दादा

(बाल गीत)

”सूरज दादा, सूरज दादा,
कहो चमकते कैसे हो?
युगों-युगों से पलक न झपकी,
फिर भी दमकते कैसे हो?
कौन-सी गैस से मिले रोशनी,
कौन-से पंप से देते हो?
कौन तुम्हें ईंधन देता है,
कैसे तुम ले लेते हो?
तुमसे जग को ताप मिले,
तुम ही करते उजियारा हो,
अंधियारे से मिले न अब तक,
हर जन मीत तुम्हारा हो.
राज़ न हो तो हमें बताओ,
हम भी ज्ञान बढ़ा पाएं,
वरना इन सारे प्रश्नों का,
बोलो हल कैसे पाएं?”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244