लघुकथा

सच्ची भक्ति

एक महान संत का प्रवचन होने वाला था। देखते ही देखते पंडाल लोगों से पूरी तरह भर गया। लोगों को बैठने की जगह नहीं मिल पा रही थी लेकिन लोग आते जा रहे थे। आयोजकों ने बैठे हुए लोगों के पीछे, आने वाले लोगों को खड़ा करना शुरू कर दिया। संत को प्रवचन शुरू करने को कहा गया। उन्होंने उत्तर दिया ,” मेरा एक भक्त अभी नहीं आया है। प्रवचन शुरू होगा तो वह वंचित रह जायेगा।” आयोजक हैरान थे। समझ नहीं पा रहे थे कि संत को कैसे समझाया जाए। संत के शिष्य भी मन ही मन उस भक्त को कोस रहे थे जो समय पर नहीं पहुंचा था और संत उसके बिना प्रवचन शुरू नहीं कर रहे थे। धीरे धीरे खड़े होने की जगह भी भर गई। आयोजकों ने प्रवेश द्वार पर खड़े सेवकों के पास संदेश भेजा कि अब किसी को भी पंडाल में प्रवेश की अनुमति न दी जाए। संत अब भी समाधि लगाकर बैठे थे। शिष्यों ने उनके पास जाकर प्रवचन शुरू करने की प्रार्थना की। एक दो शिष्य मंच पर ढोलक और हरमोनियम लेकर बैठ गए। पूरी लय के साथ भजन कीर्तन शुरू हो गया। प्रवचन सुनने आए लोग पूरी तन्मयता से ताली बजाकर भजन गा रहे थे। कुछ भक्तों ने मंच के सामने आकर नाचना शुरू कर दिया। पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। सड़क से लेकर मंच तक प्रत्येक व्यक्ति झूम रहा था। तभी संत ने आंखें खोली और अपने पास खड़े शिष्य को बुलाकर कहा कि वो प्रवचन शुरू करने को तैयार हैं।
भजन कीर्तन तुरंत बंद हो गया और संत मंच पर आ गए। प्रवचन शुरू हुआ। संत भक्ति पर चर्चा कर रहे थे। तभी अचानक उन्होंने माइक में कहा ,” ईश्वरचंद, आज़ प्रवचन सुनने देर से क्यों आए हो ?” सब इधर उधर देखने लगे। कोई भी ईश्वरचंद्र को नहीं जानता था। एक साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति नज़रे झुका कर खड़ा हो गया। उसने हाथ जोड़कर कहा ,” क्षमा चाहता हूं महाराज। माताजी की तबियत अचानक खराब हो गई थी। उन्हे अस्पताल में चिकित्सक को दिखाकर घर छोड़ते ही प्रवचन सुनने आ गया था।” संत ने ईश्वरचंद्र को बैठने का इशारा किया। तभी भीड़ में से एक व्यक्ति उठकर बोला ,” महाराज, हम सभी व्यस्त रहते हैं किंतु आपके प्रवचन को सुनने के लिए समय से पहले आकर बैठ जाते हैं।” भीड़ में खुसर फुसर शुरू हो गई। संत ने सबको शांत रहने का इशारा किया और ईश्वरचंद्र से कहा ,” मैं जानता हूं तुम्हारी माताजी के कारण तुम देर से आए हो। यदि तुम यहां समय पर पहुंच जाते तो माताजी को अस्पताल कौन लेकर जाता ? उनकी उम्र अधिक है, हो सकता है उपचार में देर होने से उनकी मृत्यु भी हो जाती। मैं सबको यही बताना चाहता हूं कि हमारी ज़िम्मेदारी किसी भी प्रवचन से अधिक महत्वपूर्ण है। अपने कर्तव्यों का खुशी से निर्वाह करना ही सच्ची भक्ति है। और ईश्वरचंद्र ही मेरा सच्चा भक्त है।”
तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा पंडाल गूंज उठा।
— अर्चना त्यागी

अर्चना त्यागी

जन्म स्थान - मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश वर्तमान पता- 51, सरदार क्लब स्कीम, चंद्रा इंपीरियल के पीछे, जोधपुर राजस्थान संपर्क - 9461286131 ई मेल- tyagiarchana31@gmail.com पिता का नाम - श्री विद्यानंद विद्यार्थी माता का नाम श्रीमति रामेश्वरी देवी। पति का नाम - श्री रजनीश कुमार शिक्षा - M.Sc. M.Ed. पुरस्कार - राजस्थान महिला रत्न, वूमेन ऑफ ऑनर अवॉर्ड, साहित्य गौरव, साहित्यश्री, बेस्ट टीचर, बेस्ट कॉर्डिनेटर, बेस्ट मंच संचालक एवम् अन्य साहित्यिक पुरस्कार । विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा, बाल प्रहरी संस्थान अल्मोड़ा द्वारा, अनुराधा प्रकाशन द्वारा, प्राची पब्लिकेशन द्वारा, नवीन कदम साहित्य द्वारा, श्रियम न्यूज़ नेटवर्क , मानस काव्य सुमन, हिंदी साहित्य संग्रह,साहित्य रेखा, मानस कविता समूह तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। प्रकाशित कृति - "सपने में आना मां " (शॉपिजन प्रकाशन) "अनवरत" लघु कथा संकलन (प्राची पब्लिकेशन), "काव्य अमृत", "कथा संचय" तथा "और मानवता जीत गई" (अनुराधा प्रकाशन) प्रकाशन - विभिन्न समाचार पत्रों जैसे अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक हरिभूमि,प्रभात खबर, राजस्थान पत्रिका,पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्यून, संगिनी मासिक पत्रिका,उत्तरांचल दीप पत्रिका, सेतू मासिक पत्रिका, ग्लोबल हेराल्ड, दैनिक नवज्योति , दैनिक लोकोत्तर, इंदौर समाचार,उत्तरांचल दीप पत्रिका, दैनिक निर्दलीय, टाबर टोली, साप्ताहिक अकोदिया सम्राट, दैनिक संपर्क क्रांति, दैनिक युग जागरण, दैनिक घटती घटना, दैनिक प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, निर्झर टाइम्स, दिन प्रतिदिन, सबूरी टाइम्स, दैनिक निर्दलीय, जय विजय पत्रिका, बच्चों का देश, साहित्य सुषमा, मानवी पत्रिका, जयदीप पत्रिका, नव किरण मासिक पत्रिका, प दैनिक दिशेरा,कोल फील्ड मिरर, दैनिक आज, दैनिक किरण दूत,, संडे रिपोर्टर, माही संदेश पत्रिका, संगम सवेरा, आदि पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। "दिल्ली प्रेस" की विभिन्न पत्रिकाओं के लिए भी लेखन जारी है। रुचियां - पठन पाठन, लेखन, एवम् सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य। संप्रति - रसायन विज्ञान व्याख्याता एवम् कैरियर परामर्शदाता।