कविता

काश

सारी उम्र यह आस रह गई
दिल में ख्वाइशों की प्यास रह गई
काश, कोई तो होता जो मेरे दिल को पढ़ पाता
काश, कोई तो होता जो मेरे बिन कहे सब सुन जाता
काश, कोई तो होता जो मेरे दिल के दर्द को बांट जाता
काश, कोई तो होता जो मेरे अश्क पत्र को पढ़ पाता
काश, कोई तो होता जो मेरे मौन की आवाज को सुन पाता।
सच ही किसी ने कहा है,
इस दुनिया में आये है तन्हा और तन्हा ही है चले जाना,
बस माँ की कोख से निकल कर है आना
और चार लोगों के कंधे पे है लौट जाना।
— मृदुल