आँसू (आधार छंद)
सबको धीर बंधाते आँसू
सुख-दुख नीर बहाते आँसू –
समदर्शी हो रीत निभाते –
सच्ची प्रीत निभाते आँसू |
प्यार और उपहार मिले तो –
सजल नयन भर जाते आँसू |
रोना – हँसना भाव समेटे –
बिन बोले कहजाते आँसू |
ओर – कोर में छिप कर बैठे-
सरल हृदय बह आते आँसू |
अनुरक्ति- विरक्ति को थामे-
निर्झर बन झरआते आँसू |
मौन अधर कुछ बोल न पाये-
बह कर सब कह जाते आँसू |
भरी वेदना राह न सूझे-
नयी राह दिखलाते आँसू |
तप्त हृदय घनघोर अँधेरा –
नया सबेरा लाते आँसू |
हाथ छुड़ाले दुनिया सारी-
पल पल साथ निभाते आँसू |
— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”