गीतिका/ग़ज़ल

नेता

नेता विकट कहानी है |
करता बस मनमानी है |

गरिमा को रख ताख तले
अपनी धाक जमानी है |

बे पेंदे का लोटा ये –
आँखो में ना पानी है |

अंधा गूंगा है बहरा –
कोई ना इसका सानी है |

कुर्सी का सब खेल यहाँ –
लोकतंत्र बेमानी है |

साम दाम अपना कर के –
बस सत्ता हथियानी है |

— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016