कविता

रिश्ते में प्रासंगिकता

जो आपके
बुलाने मात्र से
हाजिर हो जाय,
ऐसे अपने या रिश्ते
अब मिलने से रहे !
जो बुलाते ही आ जाय,
ऐसे ‘अपने’
कभी नहीं मिलते !
अगर ऐसे हो जाय,
तो वो अनमोल होते हैं !
बरगद की तरह बढ़िए,
खजूर या यूकेलिप्टस की
तरह नहीं !
बरगद की महानता
यह है
कि उसकी शाखाएँ ही
जड़ें बन जाती हैं !
अपने द्वारा किए
प्रतिदिन के
ईमानदारीपूर्ण
मेहनत को
पलटकर देखिए,
आपकी सफलता,
असफलता की
शर्त्त यही है !
ज्यादा कार्य करने से
कोई व्यक्ति
सफल नहीं हो जाते,
बशर्त्ते सही तरीके से
कार्य करने से
सफल होते हैं !
आजादी का यह
75वां साल है,
पर हिंदी माध्यमवाले
अबतक
आईएएस टॉपर
यानी प्रथम स्थान
नहीं हो पाए हैं.
यह है भारत में
हिंदी की दु:स्थिति !
महात्मा गाँधी
सदैव ‘प्रासंगिक’ है,
किन्तु इसका मतलब
यह नहीं है
कि अन्य महापुरुष
‘अप्रासंगिक’ है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.