गीतिका/ग़ज़ल

चुपके चुपके

चुपके चुपके चुराई नज़रों से देख लिया करते हैं ।
पलके झुका कर हाल ए दर्द बता दिया करते हैं ।।

तुमको खबर हो न हो मुझको खबर है हकीकत ,
अपनी खबर से तुम्हारी खबर ले लिया करते है ।

मेरा याद रहे ना रहे तुम्हारी यादें जरूर है जानम ,
ख्वाब में ही ख्वाबों का महल सजा लिया करते है !

जानेमन मैंने कब कहा कि तुम मेरी मंजिल हो ,
तुम्हारी राहों पे चलकर मंजिल ढूंढ लिया करते हैं ।

— मनोज शाह ‘मानस’

मनोज शाह 'मानस'

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